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पुरी के शंकराचार्य की चाहत, रथ यात्रा पर रोक के फैसले पर पुन:विचार करे सु्प्रीम कोर्ट

भुवनेश्वर : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और जगन्नाथ मंदिर के अन्य पुजारियों ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि रथ यात्रा को रोकने के अपने फैसले पर उच्चतम न्यायालय ‘दोबारा विचार’ करे और जरूरी ऐहतियात के साथ इस उत्सव को आयोजित करने की मंजूरी दे।

बता दें कि कोविड-19 के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘मागे परब’ को रोकने के फैसले को सही करार देते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि इस पर दोबारा विचार करके ‘कुछ ही सेवकों के साथ इस समारोह को आयोजित करने की मंजूरी दी जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि श्रद्धालु इस साल इस उत्सव को टीवी पर देख सकते हैं।

नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत रथ यात्रा से होती है, जिस पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा को यहां गुडिचा मंदिर तक और वहां से वापस मंदिर लाने के दौरान रथ यात्रा निकाली जाती है। पुरी में गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य यहां धार्मिक प्रमुख हैं और विवादों को लेकर उनके विचारों को 12वीं शताब्दी के इस मंदिर द्वारा स्वीकार किया जाता है।

श्री जगन्नाथ मंदिर के सेवकों की शीर्ष इकाई छत्तीसा नियोग ने भी राज्य सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने की अपील की है। छत्तीसा नियोग ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि उच्चतम न्यायालय को मंदिर प्रशासन और राज्य सरकार द्वारा 23 जून को रथ यात्रा आयोजित करने के संबंध में की गई तैयारियों की उचित तरीके से जानकारी नहीं दी गई।”

नियोग ने दावा कि सालाना रथ यात्रा के रद्द होने का प्रभाव भविष्य के अनुष्ठानों, पूजा-अर्चना और त्योहारों पर पड़ेगा। नियोग ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने उत्सव के लिए रथ निर्माण की अनुमति दी थी और उसके अनुसार ही सारी व्यवस्थाएं की गईं थीं। समय-समय पर रथ का निर्माण करने वाले और सेवा करने वालों की स्वास्थ्य जांच भी हुई। अब जब उत्सव के सिर्फ चार दिन रह गए हैं तो राज्य सरकार को तत्काल आदेश में संशोधन के लिए उच्चतम न्यायालय से संपर्क करना चाहिए।”

इससे एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस साल पुरी में 23 जून से आयोजित होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा और इससे संबंधित गतिविधियों पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। इसके शीघ्र बाद ओडिशा मंत्रिमंडल ने आपात बैठक के दौरान एक प्रस्ताव पारित करते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति (एसजेटीएमसी) को पुरी के मंदिर परिसर में ही अदालत के दिशानिर्देश के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए कहा।

इस संबंध में श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति रथ यात्रा से जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों को इस 12वीं सदी के मंदिर में ही करने की संभावना पर शुक्रवार को बैठक करने जा रही है। एसजीटीएमसी के सदस्य रामचंद्र दास महापात्रा ने कहा कि ऐसी संभावना है कि बैठक के बाद एक प्रतिनिधिमंडल पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मिलेगा और उनसे इस संबंध में सलाह मांगेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आगे का फैसला शंकराचार्य की सलाह के आधार पर ही लिया जाएगा।” वहीं रथ यात्रा के रद्द होने के फैसले के खिलाफ श्रीजगन्नाथ सेना और श्रीक्षेत्र सुरक्षा बाहिनी ने पुरी में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन करते हुए इसके सदस्यों ने दावा किया कि राज्य सरकार ने सालाना रथ यात्रा निकालने के लिए कुछ भी नहीं किया।

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