नई दिल्ली / NI / भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की वादी रंजना अग्निहोत्री आदि के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा था। करीब दो घंटे तक सुनवाई के बाद न्यायालय ने अगली तारीख दी थी। याचिका में मांग की गई है कि 1968 में जन्मभूमिक को लेकर जो समझौता हुआ था उसे रद्द किया जाए और मस्जिद को वहां से हटाया जाए.श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में मथुरा की जिला जज की कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. जन्मभूमि की जमीन पर मालिकाना हक के लिए ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की ओर से जिला जज की अदालत में अपील की गई थी। कोर्ट ने दूसरे पक्ष, जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड, ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान को नोटिस भेजा गया है. इसका मतलब है कि अब इस केस में सुनवाई का सिलसिला शुरू होगा. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से वकील हरि शंकर जैन, विष्णु जैन और पंकज वर्मा ने पक्ष रखा. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्र के रूप में हाईकोर्ट की वकील रंजना अग्निहोत्री भी कोर्ट में मौजूद थी.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का बयान
इस मामले में सरगर्मियां बढ़ गई हैं। गुरुवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर आकर हृदय द्रवित हो गया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर लगा कलंक हटना बहुत जरूरी है। इस मंदिर को चार बार तोड़ा गया है। आततायी मुगलों का एक ही काम रहा, मंदिर-मठों को तोड़कर मस्जिद और ईदगाह बनाना।
श्रीराम जन्म भूमि मुक्त हो गई है, अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराना है। इस पर बने गुंबद का कलंक मिटाना भी जरूरी है। नरेंद्र गिरि गुरुवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि दर्शन करने के लिए पहुंचे थे।
अगल-बगल हैकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और मस्जिद
मथुरा में शाही मस्जिद ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि मंदिर बिल्कुल अगल-बगल है. यहां पूजा अर्चना और पांच वक्त की नमाज नियमित रूप से चलती है. इतिहासकारों का दावा है कि 17वीं सदी में बादशाह औरंगजेब ने एक मंदिर तुड़वाया था और उसी पर मस्जिद बनी. हिंदू संगठनों को कहना है कि मस्जिद के स्थान पर ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.