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चारा घोटाला – 5वें केस में सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला, लालू यादव को पांच साल की सजा और 60 लाख रुपये का जुर्माना भी

आज झारखंड के डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में लालू यादव को पांच साल की सजा सुनाई।आपको बता दें कि रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने बहुचर्चित चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा सुनाई है और 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया  है। यह मामला डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी का है। बता दें कि इस मामले में लालू के साथ 75 आरोपियों को 15 फरवरी को दोषी करार दिया गया था और 24 को रिहा कर दिया गया था। इनमें से 36 को तीन-तीन साल की सजा मुकर्रर की जा चुकी है। वहीं बाकी दोषियों को भी आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनाई गई। लालू के वकील ने बताया कि आगे जमानत के लिए अर्जी दी जाएगी। लेकिन जमानत नहीं मिलने तक लालू को जेल में ही रहना पड़ेगा। आपको बता दें कि चारा घोटाला उस समय सुर्खियों में आया था जब पश्चिमी सिंहभूम जिले(चाईबासा) के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने 27 जनवरी 1996 को उजागर किया। बिहार पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया और जांच आगे बढ़ाई तो इसका संबंध लालू प्रसाद यादव समेत कई लोगों से निकला। बाद में सीबीआई ने इस केस का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया जो पिछले 25 वर्षों से चल रहा है।

गौरतलब है  कि राजद सुप्रीमो लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े अन्य चार मामलों में पहले ही लालू को कुल 14 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। चाईबासा कोषागार से पहला मामला था जिसमें उन्हें 5 साल की सजा हुई। यह मामला 37 करोड़ की अवैध निकासी का था। वहीं दूसरा मामला देवघर कोषागार से था जिसमें उन्हें 3.5 साल की सजा हुई थी और यह मामला 79 लाख रुपये की अवैध निकासी का था। तीसरा मामला (33.13 लाख की अवैध निकासी) फिर चाईबासा कोषागार का ही था जिसमें उन्हें पांच साल की सजा हुई थी। फिर दुमका कोषागार (3.13 करोड़ की निकासी) के मामले में सात साल की सजा लालू को सुनाई गई थी। आपको बता दें कि सीबीआई ने जांच में कहा था कि ये व्यापक षड्यंत्र का मामला है। इसमें राज्य के नेता, कर्मचारी और व्यापारी सब भागीदार थे। इस मामले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र समेत राज्य के कई मंत्री गिरफ्तार किए गए थे।

इस घोटाले में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। जिसमें पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर ढोने की कहानी शामिल है। मामला 1990-92 के बीच का है। अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी। फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया। यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशु को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर निकले। सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था।

जांच में सामने आया कि 1990-92 के दौरान 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से अधिक में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदे गए थे। वहीं क्रॉसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद का करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी। इस घोटाले में हिंदुस्तान लाइव स्टॉक एजेंसी के आपूर्तिकर्ता संदीप मल्लिक पर भी भेड़ और बकरी के लिए 27 लाख 48 हजार रुपए भुगतान करने का आरोप है।

 

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