नर्सिंग की परीक्षाओं की तिथियों में अब नहीं होंगे बदलावः मप्र हाईकोर्ट

न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन 51
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में हुए फ़र्ज़ीवाडे मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल के समक्ष हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को निर्देश दिये हैं कि किन्ही भी परिस्थितियों में नर्सिंग पाठ्यक्रमों की प्रस्तावित परीक्षाओं में परिवर्तन नहीं किया जावे एवं परीक्षाओं का आयोजन घोषित समय सारिणी अर्थात् 28 एवं 29 अप्रैल से कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
ग़ौरतलब है कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की जाँच के चलते छात्रों की परीक्षाएँ कई वर्ष देरी से हो रही हैं तथा 3-4 बार परीक्षाओं की तिथियाँ घोषित कर उन्हें निरस्त या संशोधित किया जा चुका है जिसके चलते छात्रों को भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन अब हाईकोर्ट की सख़्ती के चलते नर्सिंग की सभी परीक्षाएँ अबिलंब संपन्न की जायेंगी, जिससे नर्सिंग पाठ्यक्रमों की वेपटरी व्यवस्थाओं को पुनः बहाल किया जा सके।
मामलों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिये हैं कि नर्सिंग मामलों हेतु हाईकोर्ट के द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की भूमिका अब समाप्त हो चुकी है इस कारण से अब किसी भी कॉलेज के प्रकरण कमेटी को रेफ़र नहीं किए जाएँगे । ग़ौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच में डेफ़िशियेंट पाये गये कॉलेजों के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया था, जिन्हें डेफ़िशियेंट कॉलेजों में सीबीआई जाँच के दौरान पाई गई कमियों की कमीपूर्ति के संबंध में सुनवाई कर संबंधित कॉलेजों को सूटेबल अथवा अनसुटेबल की श्रेणी में सूचीबद्ध करने का कार्य सौंपा गया था, लेकिन अब चूँकि मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के द्वारा नये सत्र की मान्यता प्रक्रिया शुरू की जा रही है इसके चलते हाई लेवल कमेटी की भूमिका समाप्त करते हुए सभी कॉलेजों को नये सत्र की मान्यता हेतु विधिवत आवेदन काउंसिल के समक्ष प्रस्तुत करना होगा जिस पर निर्णय आवश्यक जाँच पड़ताल का काउंसिल के द्वारा ही लिया जायेगा।
दरअसल नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में हाइकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मध्यप्रदेश में नियमों एवं मापदंडों की अनदेखी कर अनेकों नर्सिंग कॉलेज खोल दिये गये हैं जिनके पास आवश्यक इंस्फ़्रास्ट्रक्चर, लैब, लायब्रेरी, टेकिंग फ़ैकल्टी एवं अस्पताल नहीं हैं फिर भी उन्हें मान्यता दे दी गई है। शुरुआती सुनवाइयों के बाद हुए अहम खुलासों के चलते मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पूरे फर्जीवाड़े की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी, हाई कोर्ट की मॉनीटरिंग में हुई सीबीआइ जांच में प्रदेश में हुए नर्सिंग फर्जीवाड़े की पूरी परतें खोल के रख दी जिसके बाद ये खुलासा हुआ कि मध्य प्रदेश में खोले गए 700 कालेजो में से मात्र 200 कॉलेज नियमों की एवं मापदंडों की पूर्ति करते हैं शेष कॉलेजों को फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट बनाकर मापदंडों की पूर्ति ना करने के बावजूद भी मान्यता दे दी गई । हालाँकि ज़िम्मेदारों पर कार्यवाही हेतु अभी हाईकोर्ट का फ़ैसला आना बाक़ी है।
सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी एवं याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक वाग्रेचा सहित याचिकाकर्ता स्वयं विशाल बघेल ने पक्ष रखा।
Vilok Pathak
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