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पुलिसकर्मियों पर एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज..वकीलों से हुआ था विवाद

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✒️ विलोक पाठक

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जबलपुर, माढ़ोताल थानांतर्गत पुलिसकर्मियों और अधिवक्ताओं के बीच शनिवार को विवाद हो गया। जिसके बाद अधिवक्ता विवेक पटेरिया सहित बड़ी संख्या में थाने पहुंचे । अधिवक्ताओं ने पुलिसकर्मियों पर अभद्रता और मारपीट के आरोप लगाए हैं, वहीं पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि अधिवक्ताओं ने भी पुलिस से दुर्व्यवहार किया है। इस विवाद के बाद थाना माढ़ोताल में पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसके बाद पुलिस ने भी दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है, जिससे मामला और गर्मा गया।
दरअसल, इस मामले में अधिवक्ता विवेक पटेरिया का आरोप है कि थाना माढ़ोताल के सामने पुलिसकर्मियों ने उन्हें वाहन चेकिंग के नाम पर रोका। परिचय देने और कार्यक्रम में जाने की जानकारी देने के बावजूद पुलिसकर्मियों ने उनके साथ गाली-गलौज करते हुए दुर्व्यवहार किया। इसके बाद उनके वाहन की चाबी छीन ली और धक्का-मुक्की करने लगे । इस दौरान उनकी उंगली में चोट आ गई घटना की जानकारी मिलते ही जिला अधिवक्ता संघ के सचिव ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी मौके पर पहुंचे। उन्होंने जब पुलिस से संयम बरतने की अपील की, तो उप निरीक्षक बृजेश तिवारी ने कथित रूप से उनकी गर्दन पकड़ने का प्रयास किया और जान से मारने की धमकी दी।

आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष मनीष मिश्रा के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की है। वहीं सीएसपी भगत सिंह ने कहा कि वाहन चेकिंग के दौरान विवेक पटेरिया को रोका गया था और उनके वाहन में दस्तावेजों की कमियां पाई गईं। दस्तावेज अधूरे होने के चलते उनका चालान किया जा रहा था। इसी दौरान अधिवक्ता भड़क गए और उनके कुछ साथी भी मौके पर आकर पुलिसकर्मियों से बहस और अभद्रता करने लगे। सीएसपी ने कहा कि वकीलों द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन निष्पक्ष जांच के आधार पर दोनों पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अधिवक्ताओं की शिकायत के आधार पर थाना माढ़ोताल में उप निरीक्षक बृजेश तिवारी और आरक्षक सत्यम पटेल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 296, धारा 115, धारा 351 और धारा 3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1)(द) और धारा 3(1)(ध) के तहत भी प्रकरण दर्ज हुआ है।

@vilok pathak

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