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लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने कहा कि “जिसने हक पर कुंडली मारी उसे सत्ता दें या सबक” अब सिहोरावासियों पर निर्भर

सिहोरा:- वर्ष 2003 में जिला बन चुके सिहोरा को आज तक लागू न करने वाले जिम्मेदार लोगों को सत्ता देनी है या सबक ये फैसला अब सिहोरावासियों को करना है।स्थानीय निकाय के चुनाव परिणाम सरकार को प्रभावित तो नही करेंगे पर सिहोरावासियों की मंशा प्रत्यक्ष रूप में सामने जरूर लाएँगे।आगामी 6 के नगरपालिका चुनाव की तरफ इशारा करते हुए यह बात लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने अपने धरने के 38 वें रविवार कही।
समिति के मानस तिवारी और अमित बक्शी ने कहा कि जिस तरह से सरकार द्वारा सिहोरा जिले को अस्तित्व में लाने में 18 वर्षो का लंबा विलंब किया गया है वह अक्षम्य है।जिला मुद्दे पर चल रही मांग से जिस तरह से राजनेताओं ने दूरी बनाई है वह भी राजनैतिक दलों की सिहोरा के प्रति शोषणकारी रवैये का प्रमाण है।
◆ सिहोरा विकास का एजेंडा नही:- समिति के नागेन्द्र क़ुररिया,अनिल जैन ने कहा कि नगरपालिका चुनाव में किसी भी राजनैतिक दल की सिहोरा के विकास को लेकर कोई योजना नही है।भाजपा एक बार फिर मोदी और शिवराज के चेहरे पर जीतना चाहती है तो कांग्रेस भाजपा की कमियों को बताके।हाँ कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने जरूर जीतने पर क्या करेंगे ये प्लानिंग जनता के समक्ष रखी है।
◆ जिला बनने तक जारी रहेगा आंदोलन:- समिति के रामजी शुक्ला,सियोल जैन,अजय कुमार,रमेश पटेल,सुखदेव कौरव,अंकित गौतम,नत्थू पटेल,पन्नालाल,रामलाल साहू,आदि ने घोषणा की कि सिहोरा को जिला बनाने की मांग का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सिहोरा जिला नही बन जाता।

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