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हाइकोर्ट से कबाड़खाने ब्लास्ट के एक और आरोपी सुल्तान अली को मिली जमानत…जबलपुर पुलिस की जाँच पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

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♦ विलोक पाठक 

न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन / जबलपुर / हाईकोर्ट के द्वारा लगातार जबलपुर पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए जाने के बाद भी कबाड़खाने ब्लास्ट मामले की जांच में पुलिस के द्वारा हद दर्जे की कोताही बरती गई है। जिसका फायदा इस मामले के आरोपियों को मिल रहा है। ब्लास्ट के बाद दो लोगों की मौत का जिम्मेदार शमीम कबाड़ी अब भी पुलिस की पहुंच से बाहर है लेकिन उसके पार्टनर सुल्तान अली को जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। एक के बाद एक आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिलती जा रही है। जिसकी वजह इस मामले में जबलपुर पुलिस की कमजोर जांच है।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की बेंच में इस ब्लास्ट मामले के सह आरोपी सुल्तान अली की तीसरी जमानत याचिका लगाई गई थी। आरोपी की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा कि इस मामले की चार्टशीट दायर हो चुकी है और जिस कबाड़ में ब्लास्ट हुआ था वह अन्य सह आरोपी फहीम का गोदाम था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने भी यह पाया कि शासन की ओर से यह आरोप नहीं है कि इस यह बम ब्लास्ट जानबूझकर किया गया, बल्कि यह ब्लास्ट उस कबाड़ में हुआ जिसे ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के द्वारा आरोपियों को बेचा गया था। इस जमानत आवेदन का विरोध करते हुए शासन की ओर से पक्ष रखा गया इस मामले में अदालत के पिछले आदेश के अनुसार ऑर्डनेंस फैक्ट्री के अधिकारियों से भी जानकारी ली जा रही है और उस जांच में आरोपियों के खिलाफ अन्य तथ्य भी सामने आ सकते हैं। लेकिन शासन के ही अधिवक्ता ने यह भी बताया कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया प्रशासन को एक लेटर लिखने के अलावा जांच में अभी और कुछ भी नहीं किया गया है। इसके बाद अदालत ने आदेश करते हुए यह कहा कि जब अभियोजन पक्ष ही इस मामले की गहन जांच का इक्षुक नहीं है तो आरोपी को सलाखों के पीछे रखना व्यर्थ है। जिसके बाद आरोपी सुल्तान अली को 1 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत का लाभ मिल गया।

इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में यह लिखा था। कि यह राज्य सरकार को सोचना है कि जब जबलपुर शहर में कई ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हैं। तो जबलपुर में पदस्थ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों की जांच के लिए सक्षम है या नहीं। कोर्ट ने आदेश की एक कॉपी डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस इनफॉरमेशन एंड कंप्लायंस को भेजते हुए यह आदेशित किया था कि यदि जरूरत हो तो डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस इस जांच को किसी अन्य जिला के सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस या समकक्ष अधिकारी को भी दे सकते हैं। कोर्ट ने इस मामले में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के अधिकारियों की भी संलिप्तता की जांच के आदेश दिए थे,पर जांच अधिकारी के बदले जाने के बाद भी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को कुछ पत्र लिखने के अलावा इस जांच में कुछ भी नहीं किया गया। एडिशनल एसपी ग्रामीण सोनाली दुबे ने पिछले समय कोर्ट को बताया था कि इस मामले में विशेषज्ञ जांच की जरूरत है और सीनियर पुलिस ऑफिसर या इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर के पास ना तो वह विशेषज्ञता है और ना ही बुद्धिमत्ता क्योंकि कोई भी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के बने बमों में विशेषज्ञ नहीं है। इसके बाद उन्होंने कोर्ट से ही यह निवेदन किया कि जांच एजेंसी को मदद कीजिए कि इस मामले में जांच का सही तरीका क्या हो सकता है। इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जबलपुर पुलिस खुद अपने आप को यह प्रमाण पत्र दे रही है कि वह इतने इंटेलिजेंट नहीं है कि इस तरह के मामलों की जांच कर सकें जिसमें विशेषज्ञ जांच की जरूरत हो।

रज़ा मेटल इंडस्ट्रीज में हुए ब्लास्ट में यह कबाड़ ग्लोबल ट्रेडर्स से लेने की बात सामने आई थी और यह भी जानकारी मिली थी कि ग्लोबल ट्रेडर्स ने यह कबाड़ OFK से खरीदा है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह बात आई थी कि जबलपुर जिला कलेक्टर को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने एक लिस्ट दी है जिसमें उन सभी फर्म के नाम है जिन्हें कबाड़ सप्लाई किया गया था। पर लिस्ट के अनुसार ग्लोबल ट्रेडर्स या रज़ा ट्रेडर्स को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने कभी कबाड़ सप्लाई ही नहीं किया। इसके साथ ही बिना डिफ्यूज किए गए बमों के कबाड़ खाने तक पहुंचाने में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के अधिकारियों पर जांच न किए जाने पर भी जबलपुर पुलिस कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाई थी। मामले के अवलोकन में कोर्ट ने यह पाया था कि किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने इस केस डायरी को ना ही कभी जांचा और ना ही जांच अधिकारी को इससे जुड़े कोई भी आदेश दिए थे।

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