विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सुलग रहे 10 तीखे सवाल, कौन देगा जवाब?
नई दिल्ली:2 और 3 जुलाई की दरमियानी रात में कानपुर (Kanpur) में अपने किस्म की बेहद संगीन वारदात में दबिश डालने गई पुलिस टीम के 8 लोगों को एक ही झटके में मार गिराने वाले गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) का अंत भी वैसा ही हुआ, जैसा लोगों को अंदेशा था. उज्जैन से कानपुर लाते वक्त कानपुर में भौती के पास एसटीएफ (STF) की गाड़ी पलट जाती है. इसके साथ ही पुलिस टीम के बीच में बैठा विकास भागने की कोशिश करता है, पुलिस के हथियार छीनता है और एसटीएफ के जवानों पर फायर करता है. जवाबी कार्रवाई में विकास को भी गोली लगती है और वह मारा जाता है. इस फिल्मी स्टाइल घटनाक्रम से जुड़े कुछ तीखे सवाल है, जो विकास दुबे की मुठभेड़ (Encounter) पर यूपी में सियासत को हवा दे रहे हैं…
1. जब भागना ही था, तो उज्जैन में सरेंडर क्यों?
यह एक बड़ा सवाल है. गुरुवार को उज्जैन में महाकाल मंदिर के बाहर गिरफ्तारी के वक्त शातिर अपराधी चिल्ला-चिल्ला कर कहता है… मैं विकास दुबे हूं…कानपुर वाला. इसके बाद उसे गिरफ्त में लेकर पुलिस पार्टी अज्ञात जगह पर चली जाती है. नाटकीय गिरफ्तारी पर ही अलग-अलग बयान आए. हालांकि लब्बोलुआब यही था कि विकास दुबे ने सोच-समझ कर अपनी गिरफ्तारी के लिए उज्जैन को चुना था. इसके बावजूद उज्जैन से कानपुर लाए जाते वक्त वह एसटीएफ की गाड़ी हादसे का शिकार होने के बाद भागने की कोशिश करता है.
3. पलटने के बाद ड्राइवर की साइड ऊपर आ गई थी, फिर विकास कैसे खिड़की से निकला?
एक बार मान भी लें कि एसटीएफ की विकास को ला रही गाड़ी बरसात के कारण तेज रफ्तार में होने से पलट भी गई. तो सवाल यह है कि विकास गाड़ी में पुलिस वालों के बीच में बैठा हुआ था. ऐसे में वह ड्राइवर की साइड की खिड़की से बाहर कैसे आया? उस वक्त गाड़ी में बैठे अन्य पुलिस वाले क्या कर रहे थे? पीछे आ रही एसटीएफ की अन्य गाड़ियों में सवार जवानों ने उस वक्त क्या किया?
4. विकास का पैर पूरी तरह से ठीक नहीं था. फिर वह कैसे भागा?
पुलिसिया बयान के मुताबिक गाड़ी पलटने पर विकास भागा. एक कमजोर पैर और एसटीएफ के जवानों की तुलना में कम फिट विकास आखिऱ गाड़ी से निकल कैसे भागा. यही नहीं, उसने डेढ़-200 मीटर का फासला भी तय कर लिया. इस बीच किसी पुलिस वाले ने उसे रोकने के लिए पैर में गोली नहीं चलाई. वह एक खुली जगह पर सीने में लगी तीन गोलियों की वजह से मारा गया.
5. विकास के हाथ क्यों नहीं बंधे थे. इसी तरह रिवॉल्वर डोरी से क्यों नहीं बंधी थी?
जिस तरह विकास ने पूरी प्लानिंग के साथ पुलिसवालों की हत्या की थी, उसके बाद तो एसटीएफ को और भी सावधानी से काम लेना था. यानी उज्जैन से लाते वक्त विकास के हाथ बांध कर उसे लाना था. लेकिन ऐसा नहीं था. इसी तरह जिस पुलिस अधिकारी की रिवॉल्वर विकास ने छीनी, वह डोरी से क्यों नहीं बंधी थी. एक बार मान भी लें कि संबंधित पुलिसकर्मी ने रिवॉल्वर कमर में खोंस रखी थी, तो भी विकास उसे छीनने में कैसे सफल रहा. यह ध्यान रखते हुए कि विकास की फिटनेस हर लिहाज से एसटीएफ के जवानों से कमतर थी.
6. मीडिया की गाड़ियों को एसटीएफ की गाड़ी पलटने से पहले क्यों रोका गया?
आसपास के लोगों और एसटीएफ की गाड़ियों का पीछा कर रहे मीडिया के लोगों का यही कहना है कि उन्हें मुठभेड़ से पहले ही रोक लिया गया था. क्यों? आखिर क्या प्लॉट तैयार किया जा रहा था मुठभेड़ स्थल पर? वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी इसी तरफ इशारा किया है अपनी ट्वीट में
7. आसपास के स्थानीय लोगों को भगाया गया, क्यों?
मुठभेड़ के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गाड़ी पलटने के बाद मौके पर पहुंचने पर उन्हें वहां से भगा दिया गया. इसके बाद उन्हें गोलियों की आवाज सुनाई दी. आखिर ऐसा क्यों किया एसटीएफ ने? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आसपास के लोगों ने सिर्फ गोलियों की आवाजें ही सुनी थीं. उन्हें गाड़ी पलटने की कोई आवाज सुनाई नहीं दी.
8. एमपी पुलिस के लीक ऑ़डियों में कितनी है सच्चाई?
एक अंग्रेजी चैनल पर एमपी पुलिस का एक लीक ऑडियो चल रहा है, जिसमें एक अधिकारी कहते पाए जाते हैं…’मैं आशा करता हूं कि विकास कल (शुक्रवार को) कानपुर नहीं पहुंच सके.’ इस ऑडियो की तह तक जाना होगा. आखिर कैसे एक पुलिस अधिकारी की कामना अगले ही दिन सच साबित हो जाती है.
9. विकास के साथियों की मुठभेड़ में आई थी पंचर कार?
यह एक महज संयोग है या आपस में कोई लिंक. विकास के साथी को भी हरियाणा से लाते वक्त पुलिस की एक गाड़ी पंचर हो जाती है. इसका फायदा उठा वह भागने की कोशिश करता है और इस फेर में मारा जाता है. लगभग इसी अंदाज में विकास को ला रही एसटीएफ की गाड़ी पलट जाती है और भागने की कोशिश में विकास पुलिस की ही रिवॉल्वर छीन हमला करता है. जवाबी गोलीबारी में मारा जाता है.
10. आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट से बता दी थी विकास संग मुठभेड़?
गुरुवार को उज्जैन से विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद यूपी कैडर के ही एक आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट कर विकास दुबे से मुठभेड़ का अंदेशा जता दिया था. अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट पर लिखा था कि विकास दुबे सरेंडर हो गया है. हो सकता है कल वह यूपी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करे, मारा जाए. इस तरह विकास दुबे चैप्टर क्लोज हो जाएगा. किंतु मेरी निगाह में असल जरूरत है इस कांड से सामने आई यूपी पुलिस के अंदर की गंदगी को ईमानदारी से देखते हुआ उसपर निष्पक्ष/कठोर कार्यवाही करना है.
क्या इस सुलगते 10 सवालों के जवाब सामने आएंगे?