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मप्र हाईकोर्ट के निर्देश : आरोप पत्र और केस डायरी में दोषमुक्ति के साक्ष्य भी होंगे शामिल

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✒️ विलोक पाठक

न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन -: 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक आदेश पारित करते हुए आवश्यक निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि केस डायरी और आरोप पत्र में अभियुक्त के खिलाफ साक्ष्य ही नहीं, बल्कि वे सभी दस्तावेज और गवाहियां भी शामिल की जाएं, जो उसे निर्दोष साबित कर सकती हैं। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की डिविजनल बेंच ने यह आदेश एक महत्वपूर्ण याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। जिसमें आरोप लगाया गया था कि केस डायरी और चार्जशीट में केवल अभियोजन पक्ष के पक्ष में मौजूद साक्ष्य रखे जाते हैं। जबकि आरोपी को निर्दोष साबित करने वाली सामग्री को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस प्रथा को न्यायिक प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए, हाईकोर्ट ने इसे अस्वीकार्य करार दिया और त्वरित सुधार के निर्देश जारी किए।

हाईकोर्ट ने इस आदेश के जरिए मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे बीएनएसएस की धारा 193 के तहत केस डायरी और आरोप पत्र को संतुलित रखें। ताकि अभियुक्त के खिलाफ और उसके पक्ष में मौजूद सभी साक्ष्य पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत किए जा सकें। इसके अलावा, न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करे, वह आदेश जारी करे कि मुकदमे की शुरुआत से पहले अभियुक्त को सभी प्रासंगिक दस्तावेज प्रदान किए जाएं।

इस महत्वपूर्ण फैसले में, चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की युगल पीठ ने कहा है कि किसी भी न्यायिक प्रक्रिया का आधार निष्पक्षता और पारदर्शिता होती है। अगर किसी व्यक्ति पर कोई आरोप लगाया जाता है, तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि जांच के दौरान कौन-कौन से साक्ष्य इकट्ठा किए गए हैं, चाहे वे उसके खिलाफ हों या उसके पक्ष में। हाइकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरोपी को बचाव का पूरा अवसर मिलना चाहिए और अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी तरह की जानकारी छिपाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए।

हाईकोर्ट ने इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर सभी फील्ड अधिकारियों को आवश्यक आदेश जारी करें। इस आदेश में यह स्पष्ट किया जाएगा कि अब से किसी भी केस डायरी और चार्जशीट में अभियुक्त के खिलाफ और उसके पक्ष में मौजूद सभी साक्ष्य को दर्ज किया जाना अनिवार्य होगा। साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मुकदमे की शुरुआत से पहले अभियुक्त को जांच के दौरान एकत्र की गई सभी सामग्री की प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं।

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