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स्मार्ट सिटी में शहर छोड़कर बाकी सब स्मार्ट

स्मार्ट सिटी का सच...

न्यूज़ 🔍इन्वेस्टिगेशन
जबलपुर / शहर के विकास के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट लाए गए हैं परंतु शहर कितना विकसित हुआ यह सबके सामने हैं स्मार्ट सिटी के नाम पर बजट

की आवंटित राशि और उसके सदुपयोग की कहानी सबके सामने है ,और इस सब मे सँगमित्ति का खेल जमकर चल रहा है । शहर कितना स्मार्ट हुआ यह बात तो नहीं पता परंतु उसको स्मार्ट करते करते कई लोग स्मार्ट हो गए । विगत दिवस स्मार्ट सिटी के रैंक में शहर का भी स्थान लगा एवं पिछले समय शहर को अवार्ड भी मिला, परंतु इस अवार्ड की मानक स्थिति क्या थी यह तो नहीं पता, किंतु अवार्ड देने वाली एजेंसी ने कितनी पारदर्शिता बरती है यह बात शहर की दुर्दशा देखकर समझ में आती है । या यूू कहें कि देने और लेने वालों में कोई आपसी सामंजस्य जरूर समंझ में आता है । जगह-जगह गड्ढे धूल से सनी हुई सड़कें आवारा पशु ,गंदगी में लौटते सूअर , वाहनों को हिचकोले खिलाती हुई सड़कें, बेतरतीब यातायात , और ऐसी तमाम विसंगतियों को झेल रहे नागरिकों से पूछो कि शहर कितना स्मार्ट हुआ है। स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर रुपयों की होली बहुत समय से खेली जा रही है । एसी दफ्तरों में बैठे और एसी गाड़ियों में चलने वाले जिम्मेदार शहर कि नब्ज जाने बिना अनाप शनाप निर्णय लेकर उसे हासिये पर ला रहे हैं … पहले से विकसित चौराहों को और विकसित कर दिया या यूं कहें बिना किसी तकनीकी सोच के चौराहों को वेढगा कर दिया गया । छोटी लाइन फाटक का चौराहा जिसे वर्तमान में शंकराचार्य चौक कहा जाता है इसका उदाहरण है । तीन पत्ती चौराहे पर लेफ्ट टर्न के नाम पर तीन तरफ का हिस्सा चौंड़ा कर लिया परंतु चौथे तरफ नगर निगम ने स्वयं अपनी बिल्डिंग से जगह देना उचित नहीं समझा लिहाजा आज भी वहां लेफ्ट टर्न खतरे का सबब बना हुआ है । इसी तरह मेट्रो बस के लिए अनाप-शनाप बस स्टॉप बना दिए गए और वो भी ऐसे कि कहीं ऐतिहासिक धरोहर पर बना दिया तो कहीं किसी रसूखदार को खुश करने उस चौराहे से ही हटा दिया । ब्लूम चौक पर ब्रांड फैक्ट्री जैसे संस्थान को ओब्लाईज़ करने के लिए वहां से मेट्रो बस स्टॉप ही हटा दिया गया,  लिहाजा नागरिक व् मजबूर लोग गर्मी बरसात में खुले में खड़े होने विवश है ।

स्मार्ट वर्क और उसकी हकीकत

न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन की टीम ने जब जायजा लिया तो पता चला कि जनता के लिए बनाए गए टॉयलेट कितने बचे और सफल हैं ये सबके सामने है । हेक्सी सायकिल के पॉइंट हों या ग्वारीघाट तक साइकिलिंग के ट्रेक सबकी हालत खस्ता है । इसी तरह कचरे के स्थान पर लगे कैमरे हों या अन्य स्थानों पर लगाये गए उपकरण ..सब गायब हैं । लोगों के घरों में लगाई गयी  चिप भी किस काम आ रही इसे देखने की किसी को फुरसत नहीं है ।चलिए खैर बात तो स्मार्ट सिटी की हो रही है स्मार्ट सिटी में विकास हो या ना हो परंतु उसके नाम पर होने वाले इवेंट में रुपयों की होली जरूर देखी जा सकती है स्मार्ट सिटी को अवार्ड देने वाली संस्था ना जाने क्या देख कर अवार्ड देती है । क्योंकि शहर की दुर्दशा होने के बावजूद यदि स्मार्ट सिटी का अवार्ड मिल रहा है तो यह सवाल अवार्ड देने वाली संस्था या उससे जुड़े लोगों कि कर्मठता को इंगित करता है ।

जनप्रतिनिधियों की कर्मठता

सत्ताधारी दल के पिछले महापौरों ने कितनी कर्मठता दिखाई यह बात इस शहर की जनता बखूबी जानती हैं । वहीं कमजोर विपक्ष की संगामित्ति ने शहर का बेड़ा गर्क कर दिया । कलफदार कुर्तों और लग्जरी गाड़ियों में घूमने वाले कर्मठ जनप्रतिनिधियों को गढ्ढे और धूल से सनी सड़के कहाँ समंझ आएंगी । इनकी अकर्मण्यता के चलते शहर बदहाल हुआ एवम जनता आज भी लाचारी का दंश भोग रही है ।

बहरहाल जो भी हो परंतु स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर स्मार्ट हो न हो , वरन उससे जुड़ी कई कड़ियां जरूर स्मार्ट हो गयी । खैर जबलपुर की सहनशील जनता इनकी स्मार्टनेस भलीभांति समझती है आने वाले समय में गाहे-बगाहे इन्हें आईना जरूर दिखायेगी ।

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