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सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से किये कई सवाल…. जब न्यायालय ने कृषि कानूनों पर रोक लगाई, तो प्रदर्शन क्यों ?

विलोक पाठक 

नई दिल्ली: देश में किसान आंदोलन जगह-जगह हो रहे हैं  |  उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन विभिन्न नेत्रत्वो में प्रदर्शन कर रहे हैं | उनके इस प्रदर्शन से देश में क्या स्थिति उत्पन्न हो रही है यह तो स्पष्ट नहीं परंतु कुछ किसान संगठन देश में  कोर्ट तक पहुंच गए हैं ,एवं उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर जो दलीलें  कोर्ट में दी हैं उसी पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी दी है |कानूनों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से कई सवाल किये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है तो इसके बाद विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है | उल्लेखनीय है कि किसान महापंचायत ने जंतर मंतर पर सत्याग्रह के लिए परमीशन मांगी है , इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे कि क्या ये प्रदर्शन के लिए सही जगह है | आपको बता दें कि अदालत ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है और ये अधिनियम लागू नहीं हुए हैं. आप किस चीज़ के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं?

लखीमपुर जैसी  घटना पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी घटना के बारे में शीर्ष अदालत को बताया तो  न्यायालय ने कहा कि ऐसा कुछ भी होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. देश में चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय में यह बात कही की एक बार जब कोई मामला शीर्ष एवं संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो कोई भी उस मुद्दे को लेकर सड़क पर नहीं उतर सकता. उल्लेखनीय है कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले भी कई बार किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी कर चुका है. सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि अनिश्चित काल के लिए इस तरह से सड़कों को रोक कर नहीं बैठा जा सकता |

बहर हाल जो भी हो परंतु यह बात इस लोकतंत्र में कहां तक उचित है कि जिस मामले में  कोर्ट का दखल हो एवं स्पष्ट आदेश दिए जा रहे हो उसके बावजूद उन आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं …. और वह भी केवल राजनीतिक सरोकार के कारण ……किसान से नेता बने हों.. या ….नेता से किसान …..या ….किसानों के नाम से अपने ब्रांड चमका रहे कथित नेता क्या इस लोकतंत्र में न्यायालय कि मर्यादा रख पाएंगे |

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