मंत्री विजय शाह की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का आज इंकार..हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हो चुकी है FIR

विलोक पाठक / न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ विवादित देने के मामले में सख्त हुए हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. इस आदेश के आने के बाद मंत्री विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जहां से उन्हें झटका लगा है। उनका मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की बेंच के सामने मेंशन किया गया। सीजेआई ने बयान पर नाराजगी जताई और कहा कि ठीक है कल देखेंगे कि क्या करना है। आप हाई कोर्ट को बता दीजिए कि इसकी सुनवाई हम कल करेंगे। सीजेआई ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि ऐसी टिप्पणी करने की क्या जरूरत है. यह कोई समय है. उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसे स्टेटमेंट की उम्मीद नहीं की जा सकती, जब देश ऐसे समय से गुजर रहा हो।
बचाव में जारी किया वीडियो
अपने बचाव के लिए मंत्री विजय शाह ने माफी मांगते हुए एक वीडियो जारी किया है। जिसमें शाह ने कहा है कि “मैं विजय शाह, हाल ही में मेरे दिए गए बयान से, जो हर समाज की भावनाएं आहत हुई हैं, उसके लिए मैं दिल से न केवल शर्मिंदा हूं. दुखी हूं, बल्कि माफी चाहता हूं. हमारे देश की बहन सोफिया कुरैशी ने राष्ट्र धर्म निभाते हुए जाति और समाज से ऊपर उठकर काम किया है।उल्लेखनीय है कि मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी, इसमें उन्होंने कर्नल सोफिया को आतंकवादियों की बहन बताया था… इस टिप्पणी के लोग उद्धेलित हो गए। इस बयान के खिलाफ विपक्ष भी प्रदर्शन कर रहा है और मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है।
दर्ज हो गयी है FIR
मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर उनके खिलाफ महू के मानपुर थाने में बुधवार देर रात एफआईआर दर्ज की गई है। अपराध 188/2025 धारा 152, 196(1)(ख), 197(1)(ग) बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
ये धाराएं गम्भीर मानी जा रहीं हैं जिसके तहत निम्न प्रावधान हैं….
बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 :
यह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों को भी अपराध मानती है। इसमें उम्रकैद या सात साल तक के कारावास के दंड का प्रविधान है। अलगाव, सशस्त्र विद्रोह और विध्वंसक गतिविधियों को भड़काने वाले कृत्यों को अपराध मानती है।
बीएनएस 196(1)(ख) :
धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करने से संबंधित है। इसमें पांच वर्ष के कारावास का प्रविधान है।
बीएनएस 197(1)(ग) :
राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से संबंधित है। इसमें किसी भी समूह की भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा को संदेह में लाने वाले आरोप, दावे या कथन शामिल हैं। इसमें तीन वर्ष के कारावास का प्रविधान है।