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भेदभाव को स्वयं, परिवार और फिर समाज से दूर करके ही होगी समरस समाज की स्थापना
भगवान चित्रगुप्त जी की जयंती पर समरसता सेवा संगठन ने किया विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन

The NI / न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन – 51
♦ विलोक पाठक
जबलपुर। समरस भारत – समर्थ भारत के लिये सब सबको जाने – सब सबको माने, एक अभियान के अंतर्गत समरसता सेवा संगठन द्वारा भगवान चित्रगुप्त जी जयंती पर विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन मुख्य अतिथि मराठी साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक उदय परांजपे, मुख्य वक्ता महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज संस्थान के संकाय सदस्य संजय सिंह राजपूत, विशिष्ट अतिथि सुदर्शन समाज के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चोहटेल, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्श् संदीप जैन, की उपस्थिति में टिंबर भवन महानद्दा में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उदय परांजपे ने अपने संबोधन में कहा सभी हिंदू भाई भाई है सभी एक मां के संतान है और हिन्दू को संगठित करना हमारा दायित्व है। समरसता सेवा संगठन द्वारा बहुत ही पावन भाव से समरस भारत से समर्थ भारत बनाने के उद्देश्य से यह कार्य प्रारंभ किया गया है।
हम देखेंगे कि समरसता भारतीय विचारो से निकाला है और समता शब्द वाम विचार से निकला शब्द है। संघ ने अपनी स्थापना से ही समरसता को लेकर अपना कार्य प्रारंभ किया। समरसता के भाव से दूरी समाज और देश में बनी है उसके लिए हमे ही प्रयास करना होगा और जाति समाज का भेदभाव जो इतने वर्षो से चला आ रहा है उसे हमे अपने आचरण से दूर करना होगा, पहले स्वयं को फिर परिवार को और फिर समाज को इसके लिए प्रेरित करना होगा तब ही सही मायने में समरस समाज की स्थापना हम कर सकेंगे।
मुख्य वक्ता डॉ संजय सिंह राजपूत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा व्यक्ति तब ही किसी को पूजता है जब उसका अपने उपास्य के प्रति भाव हो या उसके अंदर भय का माहौल हो और भगवान चित्रगुप्त जी तो हमारे कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले देव है और यह कार्य चित्रगुप्त जी बिना किसी भेदभाव के करते है इसीलिए हमारे ग्रंथों, वेदों और पुराणों में कहा गया है कि अपने कर्म अच्छे कीजिए क्योंकि उसका लेखा जोखा उपर वाला रख रहा है और यह सत्य है कि हम जैसा कर्म करेंगे वैसा हमारा बही खाता बनेगा और उसी की भांति हमे फल प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा हम जानते है हमारी सनातन परंपरा में चार युग हुए और हर युग में वर्ण व्यवस्था थी पर उस सुंदर वर्ण व्यवस्था को हमने जाति समाज में बांट दिया और उसके दुष्परिणाम आज हम देख रहे है इसीलिए आज समरसता की महती आवश्यकता है और यह कार्य समरसता सेवा संगठन बहुत अच्छे ढंग से करने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कायस्थ समाज में अमेको ऐसी विभूतियां हुई जिन्होंने राष्ट्र और समाज के लिए अपन योगदान दिया जिनमे राजा दशरथ के मंत्री सुमंत जी, रावण के मंत्री सुषेण जी, राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद, मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, वैज्ञानिक आर्यभट, शांति भूषण भट्ट ऐसी अनेकों विभूतियां हुई जिन्होंने सर्व समाज के कल्याण के लिए कार्य किया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत भाषण संगठन सचिव श्री उज्जवल पचौरी दिया। संगठन वक्ता के रूप में शरद ताम्रकार ने भगवान चित्रगुप्त जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कवि गणेश श्रीवास्तव ने काव्य पाठ का वाचन कार्यक्रम के दौरान किया। कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल एवम आभार श्रीकान्त साहू ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में विशिष्ठ जनों का सम्मान किया गया जिसमें सहेंद्र श्रीवास्तव, जादूगर एस के निगम, डॉ मुकेश श्रीवास्तव, अमरेंद्र श्रीवास्तव, देवेंद्र श्रीवास्तव, वेदप्रकाश रत्ना श्रीवास्तव, पत्रकार अजय श्रीवास्तव, संजीव श्रीवास्तव, अरुण श्रीवास्तव, गणेश श्रीवास्तव प्यासा, प्रतुल श्रीवास्तव, सुशील श्रीवास्तव, आत्माराम श्रीवास्तव, जयप्रकाश श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव, इंद्रबहादुर श्रीवास्तव, प्रतिभा वर्मा, मदन श्रीवास्तव, एड जितेंद्र श्रीवास्तव, निशा श्रीवास्तव, प्रीति श्रीवास्तव, किरण श्रीवास्तव, ऋषभ श्रीवास्तव, आरपी श्रीवास्तव, रेणु श्रीवास्तव, नीलेश भटनागर, नवनीत श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव, शरद श्रीवास्तव, देवेंद्र वर्मा, चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, शोभित श्रीवास्तव, रेखा श्रीवास्तव, एड सौमित्र रायजादा, दीप्ति श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, मीना श्रीवास्तव, डॉ रूचित खरे, अदिति श्रीवास्तव, आदित्य श्रीवास्तव, शांभवी श्रीवास्तव
को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में नीरज वर्मा, जीतू कटारे, अतुल जैन, अरूण विश्वकर्मा, उमेश साहू ओज, चंद्रशेखर शर्मा, विवेक गुप्ता, राकेश रूसिया, नितिन अग्रवाल, उप्पल झरिया, राजेश केसरवानी, दीपमाला सोनकर, जितेंद्र साहू, मीना मरकाम, अविनाश कौशल, दीपक यादव, नरेंद्र कोष्टा, विपिन जायसवाल, संजीव अग्रवाल, टिकेंद्र यादव, मनोहर लाल विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे।