संस्कारधानी से अपराधधानी बना जबलपुर…चाकू की नोंक पर बैंक कर्मी से दिन दहाड़े लूट
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✍️ विलोक पाठक
न्यूज़ इंवेस्टिगेशन / जबलपुर,हनुमानताल थाना अंतर्गत जानकी दास मंदिर, बाबा टोला, ठक्कर ग्राम वार्ड में एक महिला ने सामूहिक लोन लिया। जब किश्त लेने बैंक कर्मी उसके घर पहुंचा तो घर के एक युवक ने धारदार हथियार निकाला और अपने साथियों को बुलाकर बैंक कर्मी के साथ मारपीट की और दो लाख रूपये लेकर भाग निकले। पीड़ित बैंक कर्मी थाने पहुंचा और पूरे घटना क्रम की जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार फ्यूजन फायनेंस कंपनी के कर्मचारी धर्मेन्द्र रजक जानकी दास मंदिर,बाबा टोला किश्त लेने कृष्ण कुमार चौधरी के घर पहुंचा था। उसके घर की किसी महिला ने लोन लिया था। धर्मेन्द्र के किश्त मांगने पर कृष्ण कुमार ने धारदार हथियार निकाला और अपने दो अन्य साथियों को भी बुला लिया। जिन्होंने धर्मेन्द्र के साथ मारपीट करते हुये उसका दो लाख रूपये से भरा बैग छीनकर भाग गये। पुलिस अपराध दर्ज कर तीनों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने आरोपियों के संबंध में बताया कि कृष्ण कुमार चौधरी आदतन अपराधी है। जिसके थाने में गंभीर अपराध पहले से दर्ज हैं।
इस घटना का वीडियो किसी क्षेत्रीय रहवासी ने मोबाइल में शूट कर लिया और वायरल कर दिया। जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि कृष्ण कुमार और उसके दो साथियों ने मिलकर बैंक कर्मी के साथ बेरहमी से मारपीट की और खुलेआम तीनों हथियार लहरा रहे हैं।
👉🏽 आखिर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों
पिछले कुछ समय से अखबारों के पन्ने रोज अपराधों से भरे रहते हैं पिछले दिनों हुए जघन्य अपराधों से न केवल पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल उठे हैं, बल्कि शहर में संगठित गिरोहों और अपराधियों के गठजोडों की बातें सामने आई है, और यह शायद इसलिए की अनुभवहीन अधिकारी इस संस्कारधानी की नब्ज समझ नहीं पा रहे। और पुराने अनुभवी शायद दबे बैठे हैं। पिछले दिनों हुए कुछ कांड यह बताते हैं की अपराधियों में पुलिस का बिल्कुल खौफ नहीं है।
👉🏽 राजनीतिक दखल भी बढ़ा रहा है अपराधियों के हौसले….
शहर में जब तक अपराध होते रहते हैं तब तक ठीक है लेकिन जैसे ही कोई अपराधी पकड़ा जाता है वह कोई ना कोई राजनीतिक दल का कार्यकर्ता हो जाता है और फिर शुरू होता है राजनीतिक दखल। पिछले दिनों हुई कुछ घटनाएं यह बताती हैं शहर में हो रहे अपराधों में राजनीतिक दखल कितना है। इसके चलते कहीं कोई माननीय धरने पर बैठ रहे हैं, तो कोई पुलिस को थाने में घुसकर सुधारने की बात कर रहे हैं।
👉🏽 ये हो सकता है समाधान….
अनुभवी जनप्रतिनिधियों, शहर के वरिष्ठ पत्रकारों अधिवक्ताओं को जो क्राईम के मामलों पर अपनी अच्छी पकड़ रखते हों, से समन्वय स्थापित कर समाज मे सुरक्षित माहौल बनाया जाना चाहिए। क्योंकि थाने स्तर पर होने वाली होने पर शांति समिति की बैठकें महज औपचारिकता बन कर रह गई हैं, जिनका औचित्य शायद अब ना के बराबर है।
न्यूज़ इंवेस्टिगेशन “वास्तविक सत्यान्वेषी”