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अजमेर शरीफ दरगाह को नोटिस जारी…हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को कोर्ट ने किया स्वीकार

• VILOK PATHAK  NI

न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन 

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक याचिका दायर की गई थी,जिसे अब अदालत ने मंजूर कर लिया है। इस मामले में कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया है अब इस मामले में कोर्ट आगे भी सुनवाई करेगी। इस याचिका को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर किया गया था। न्यायालय न्यायिक एवम सिविल न्यायाधीश संख्या दो के जज मनमोहन चंदेल ने प्रतिवादी को नोटिस जारी किये है। वादी विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता ने बताया कि वाद पर दीवानी मामलों के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई हुई। अधिवक्ता के अनुसार दरगाह में एक शिव मंदिर होना बताया जा रहा है। उसमें पहले पूजा पाठ होता था… पूजा पाठ दोबारा शुरू करवाने के लिये वाद सितंबर 2024 में दायर किया गया। याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह की जमीन पर पूर्व में भगवान शिव का मंदिर था। वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है।

दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया.याचिका में अजमेर के रहने वाले हरविलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक पुस्तक का हवाला दिया गया. इसके आधार पर दरगाह की जगह मंदिर होने के प्रमाण का उल्लेख किया गया जिनमें दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट के बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलवे के अंश हैं। साथ ही वहां एक तहखाना या गर्भ गृह होने की भी बात की गई और कहा गया है कि वहां शिवलिंग था, जहां ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करते थे। वादी विष्णु गुप्ता ने कहा,हमारी मांग थी कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए और दरगाह का किसी प्रकार का पंजीकरण है तो उसको रद्द किया जाए। उसका सर्वेक्षण एएसआई के माध्यम से किया जाए और वहां पर हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार दिया जाए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कार्यालय-नयी दिल्ली को समन जारी हुए हैं। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दिल्ली के वकील के जरिए अजमेर की सीजेएम कोर्ट में 25 सितबर को दायर किया था। यहां से प्रकरण वाद एसीजेएम की अदालत में ट्रांसफर किए जाने पर क्षेत्राधिकार का मु्ददा आने पर वादी ने सेशन न्यायाधीश की अदालत में अर्जी दायर की थी। जिसे खारिज करते हुए उसे सक्षम अदालत में वाद प्रस्तुत करने को स्वतंत्र किया था.गुप्ता ने कहा, अदालत में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी और तब प्रतिवादी अपना जवाब दाखिल करेंगे। उसमें जो भी उनकी आपत्तियां रहेंगी उसका हम जवाब देंगे।

इस मामले पर भड़के ओबैसी
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सरकार और अदालतों के कानूनी कर्तव्यों पर सवाल उठाए. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं, उनके आस्ताने पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा,महाराजा,शहंशाह,आए और चले गये,लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है.” उन्होंने कहा कि 1991 का इबादतगाह कानून साफ तौर पर यह कहता है कि किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को नहीं बदला जा सकता.ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर चुप हैं।

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