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डीजे को लेकर हाईकोर्ट सख्त , सरकार को कहा नियमों का पालन जरुरी

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◆ विलोक पाठक

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जबलपुर। डीजे की तेज आवाज से होने वाली मानव समुदाय को शारीरिक नुकसान और सामुदायिक दंगे भड़कने के मामलों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर मप्र हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने याचिका में यह आरोप लगाया कि डीजे की तेज आवाज से शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, विशेष रूप से कानों में सुनने की क्षमता में कमी आ रही है। वह यह चाहते हैं कि डीजे के लिए तय की गई आवाज की सीमा का पालन हो। इसके साथ ही डीजे पर बजाए जाने वाले गाने कभी-कभी सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं, जिसके कारण कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि इन मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए और डीजे के गानों पर नियंत्रण लगाया जाए। याचिका में कहा गया कि डीजे की आवाज दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए,क्योंकि इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि ट्रकों में 20 फीट तक साउंड सिस्टम लगाकर डीजे बजाए जाते हैं,जिससे लोगों के कानों पर असर पड़ रहा है।
इस दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि मुख्यमंत्री ने डीजे के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं,हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल निर्देश जारी करना पर्याप्त नहीं है,उनका पालन सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। कोर्ट ने सरकार से बिंदुवार जवाब पेश करने को कहा है। इस याचिका की अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने इस मामले पर आगे की सुनवाई के दौरान बारीकी से विचार करने की बात कही है और सरकार को पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया है।

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