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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शिक्षा नीति पर उठाए सवाल

मोदी सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति बनाए जाने पर लोगों की अलग अलग प्रतिकिया आ रही है. इसी कड़ी में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि नई शिक्षा नीति में कुछ बहुत अच्छी प्रगतिशील बातें कही गई हैं, लेकिन उन बातों को अमल में कैसे लाया जाएगा इसका रोडमैप पूरी शिक्षा नीति में गायब दिखता है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति कहती है कि हमारे देश में 1966 से GDP के 6% को शिक्षा का बजट बनाने की बात हो रही है, ये अब तक हुआ नहीं है हम राज्यों के सथ मिलकर इसपर काम करेंगे। कैसे करोगे? आप GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करना अनिवार्य बनाओ.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि नई शिक्षा नीति सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को बहु-विषयक बनाने की परिकल्पना करती है. जैसे कि आइआइटी को इंजीनियरिंग, प्रबंधन के साथ आईआईएम और मेडिकल के साथ एम्स, एक्टिंग के साथ एफटीआई के साथ जो देश की प्रतिभाओं के लिए ऐसे बड़े संस्थानों का दायरा ठीक नहीं होगा. बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब मनीष सिसोदिया ने नई शिक्षा नीति पर टिप्पणी की हो, इससे पहले उन्होंने गुरुवार को कहा था कि नई शिक्षा नीति को ‘हाईली रेगुलेटेड और पुअरली फंडेड’ करार दिया था.

उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा नीति में अत्यधिक नियमन और इन्स्पेक्शन की व्यवस्था है जबकि फंडिंग का ठोस कमिटमेंट नहीं किया गया है. सिसोदिया ने कहा, नई शिक्षा नीति पुरानी समझ और पुरानी परंपरा के बोझ से दबी हुई है. इसमें सोच तो नई है पर जिन सुधारों की बात की गई है, उन्हें कैसे हासिल किया जाए, इस पर यह चुप या भ्रमित है.

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