पांच साल बाद इंदौर के चिड़ियाघर में फिर दहाड़ेंगे सफेद बाघ
शहर के चिड़ियाघर में पांच साल बाद एक बार फिर व्हाइट टाइगर (सफेद बाघ) की दहाड़ गूंजेगी। यहां व्हाइट टाइगर के लिए 6350 वर्ग मीटर में बन रहे बाड़े का काम अंतिम चरण में है। सेंट्रल जू अथॉरिटी के निर्देशों के अनुसार जंगल का माहौल देने वाला बाड़ा बन जाने से सफेद बाघों को लाने की राह आसान होगी।
1.72 करोड़ की लागत से बन रहे बाड़े का काम 85 फीसद से अधिक हो चुका है। इसमें छह शेर रखे जा सकते हैं। फरवरी 2016 में चिड़ियाघर की आखरी सफेद बाघिन शिवानी की मौत पीलिया से हो गई थी। इसके पहले यहां छह बाघों का कुनबा था।
इनमें चार को प्रदेश व देश के अन्य चिड़ियाघरों को देने और अन्य दो की मौत के बाद यहां इनका कुनबा खत्म हो गया। इसके साथ ही व्हाइट टाइगर को रखने के लिए जिन नियमों के अनुसार बाड़ा होना चाहिए, उसका भी यहां अभाव था। इसके बाद चिड़ियाघर प्रबंधन ने निर्धारित मापदंड के साथ बाड़े के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की।
चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक बाड़े की जालियों का काम चल रहा है। तिरुअनंतपुरम, हैदराबाद और विशाखापट्टनम से सफेद बाघ के तीन जोड़े लाने की तैयारी है। तीन माह में बाड़े के शेष सभी काम पूरे कर लिए जाएंगे।
बाड़े में इनका किया गया है निर्माण
-छह कमरे
-मिट्टी के दो पहाड़
-पत्थर के दो पहाड़
-दो फाउंटेन
-दो मचान