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Covid-19 Pandemic: पराली जलाने का कोरोना संक्रमण में क्या होगा असर, विशेषज्ञों ने किया हैरान करने वाला खुलासा

चंडीगढ़: रबी फसल की बुवाई के मौसम से पहले इस महीने के अंत तक पराली जलाने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, जिसके चलते कोरोना वायरस महामारी की परिस्थिति और खराब हो सकती है. एक कृषि एवं पर्यावरण विशेषज्ञ ने इस बात को लेकर आगाह किया है.

फसल अवशेषों के प्रबंधन को लेकर केंद्र एवं पंजाब सरकार के सलाहकार संजीव नागपाल ने रविवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘ यदि पराली जलाने के वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए गए तो प्रदूषण तत्व और कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन जैसी जहरीले गैसों के कारण श्वसन संबंधी गंभीर समस्याओं में बढ़ोत्तरी हो सकती हैं, जिसके चलते कोविड-19 के हालात और बिगड़ जाएंगे क्योंकि कोरोना वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है.’

उन्होंने कहा, ‘ पिछले साल, पंजाब में पराली जलाने के करीब 50,000 मामले सामने आए थे. उत्तर के मैदानी इलाकों के वातावरण में सूक्ष्म कणों की मात्रा में 18 से 40 फीसदी योगदान पराली जलाने का रहता है. पराली जलने के कारण बड़ी मात्रा में जहरीली प्रदूषक गैसें जैसे मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती हैं.’ पिछले साल दिल्ली-एनसीआर के 44 फीसदी प्रदूषण की वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना रहा.

आपको बता दें कि भारत में पराली का जलाना एक बड़ी समस्या है और इससे हर साल प्रदूषण में बारी बढ़ोतरी होती है. पराली की वजह से पंजबा हरियाणा सहित पूरे दिल्ली एनसीआर में हवा जहरीली हो जाती है. आलम यह हो जाता है कि लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है. पराली की वजह से आक्सीजन में लगातार गिरावट आ रही इसको लेकर एनजीटी ने कई बार निर्देश दिए लेकिन समस्या को आज तक कोई कारगर हल नहीं निकल सका.

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