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तालाबों के प्रदूषण को लेकर मामला एनजीटी में

अवमानना याचिका में आवेदन की लापरवाही अधिकारियों की चरित्रावली में दर्ज हो...

न्यूज़🔍इंवेस्टिगेशन

◆ पूर्व में प्रस्तुत अवमानना याचिका में आवेदन दिया है। नगर निगम से क्षतिपूर्ति दण्ड वसुला जाये, अधिकारीयों के चरित्रावली में दर्ज हो ।

जबलपुर के मास्टर प्लान में उल्लेखित महत्वपूर्ण जल संग्राहक सुपाताल एवं हनुमानताल मे गंदगी समा जाने से इन तालावों का जल दुशित हुआ है, यह नगरनिगम की लापरवाही है, और यह

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की अवमानना है, यह आवेदन डॉ. पी. जी. नाजपांडे तथा रजत भार्गव की ओर से एङ प्रभात यादव ने एनजीटी में पूर्व मे ही वाटर बॉडीज के जल प्रदूषण संबंध में जारी अवमानना याचिका में प्रस्तुत किया है।

उल्लेखनिय है की डॉ. पी. जी. नाजपांडे द्वारा दायर याचिका – .ओ. ए. 105/2017 में दि. 6-7-2020 को एनजीटी ने आदेश दिये है की वाटर बॉडीज में दुषित जल एवं अपशिष्ठ जाने से हो रहे प्रदुषण पर रोक लगाये, इस आदेश का उल्लंघन करने वाले स्थानिय निकाय एवं नीजी व्यक्तियों से क्षतिपुर्ति दण्ड वसूला जाये, दोषी अधिकारीयों के वार्षिक चरित्रावली में नाकामयाबी दर्ज करे, किंतु एनजीटी के इस आदेश का पालन नहीं किया तथा वाटर बॉडीज में जल प्रदुषण होना जारी है, अतः इसको देखते हुए अवमानना याचिका दायर की गई थी।

प्रसिद्ध RTI एक्टिविस्ट और जाने माने अधिवक्ता प्रभात यादव ने आवेदन में बताया की सूपाताल तथा हनुमान्‌ताल मे आसपास जुड़े रहवासी क्षेत्र का घरेलू दुषित जल तथा गैस अपशिष्ठ निस्सारित होने कारण तालाव का जल प्रदुषित हुआ है। सुपाताल मे तो मछलिया मर रही है। हनुमानताल के जल प्रदूषण पर भी शिकायत की गई थी, जिस पर परिक्षण के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पाया की जल सी ” ग्रेड तक का है।
इसके बाद भी कर्मठ प्रशासन नही जागा । जबकि उस प्रदूषित जल से कई बीमारियां होने की संभावना है व जनता को खतरा हो सकता है ।
बहरहाल जो भी हो परन्तु एनजीटी के आदेश के बाद भी प्रशासन का न चेतना न जाने कितने सवाल खड़े करता है ।

न्यायिक भाषा मे यह सीधी अवमानना है जो शायद गंभीर विषय को इंगित करती है ।

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