चंबल के बीहड़ों में कभी आतंक बरपाने वाली दस्यु सुंदरी आत्मसमर्पण के बाद आज दबंगों से नहीं ले पा रही अपना हक़
चंबल की बीहड़ों में अपने नाम का आतंक बरपाने वाली पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई आज अपने हक की लिए संघर्ष कर रही है। सन् 1983 में दस्यु जीवन के बाद सुधार की ओर कदम रखते हुए दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई ने गिरोह के 25 सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण किया था। शासन की ओर से जीवन को नए रंग-ढंग से जीने के लिए चार बिस्वा जमीन दी गई थी। 10 साल जेल काटने के बाद वो बाहर आई तब से अब तक शासन द्वारा दी गई जमीन पर मकान नहीं बना सकी। इस जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है जोकि मकान नहीं बनाने दे रहे है।
पूर्व दस्यु मुन्नीबाई की कहानी इस तरह से है कि जब वाे 17 साल की थी तब इंदुर्खी गांव के बाबू खां से उनका निकाह हुआ था। इसके बाद जब बाबू खां किन्हीं कारणों से डकैत बने और घनसा बाबा गिरोह में शामिल हो गए थे। डकैत गिरोह के सफाया को लेकर मुन्नीबाई पर पुलिस ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसी बात से मुन्नीबाई तंग आ गई और वो चंबल की बीहड़ में बंदूक का सहारा लेने को मजबूर हुई थी। इस तरह से वो भी घनसा बाबा गिरोह की सदस्य बनी थी। करीब सात साल तक मुन्नीबाई ने गिरोह में रहकर कई वारदातों में हिस्सेदारी निभाई। कई लोगों की पकड़ कर फिरौती मांगी। मुन्नीबाई का कहना है कि गिरोह में 25 लोग थे। सबके अपने-अपने काम बंटे हुए थे। डकैती डालने के दौरान पुरूष डकैत महिलाओं पर हाथ नहीं डालते थे। घर में घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट करना और जेवर लूटने का जिम्मा हुआ करता था। सन् 1983 में गिरोह के सदस्यों ने रौन में आत्मसमर्पण किया। इस दौरान शासन की ओर से लहार के चिरौली के पास मुझे 4 बिस्वा जमीन पुनर्वास के लिए दी गई थी। पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई का कहना है कि दस साल तक ग्वालियर-इटावा और भिंड की जेल में रही। जेल से वापस आने के बाद इतने पैसे नहीं थे, इसलिए स्वयं का मकान बनवा सकूं। इंदुर्खी गांव का पैतृक मकान को बेचकर बेटी की शादी मछंड कस्बे में की और बेटी के घर ही जीवन यापन करने लगी। इकलाैती बेटी के घर में रहकर मकान बनवाने का विचार बनाया तो दबंगों ने दस साल से मकान नहीं बनने दिया। मुन्नीबाई का कहना है कि अब 60 साल से ज्यादा उम्र हो चुकी है। जमीन के टुकड़े को पाने के लिए कई बार कलेक्ट्रेट और लहार एसडीएम दफ्तर के चक्कर का चुकी हूं। परंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन के लिए भिंड से – योगेश चौधरी