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आर्थिक सर्वेक्षण 2022 दे रहा अर्थव्यवस्था को सकरात्मक संकेत

सीए अनिल अग्रवाल

वर्तमान समय देश मे जहाँ एक तरफ मंहगाई, बेरोजगारी और बढ़ता सरकारी खर्च एवं राजकोषीय घाटे पर चिंता व्यक्त की गई, वही दूसरी तरफ जीडीपी ग्रोथ रेट 8-9% के लेवल पर रहना, सरकारी राजस्व में बढ़ोत्तरी, कृषि और उत्पादन दर में पिछले साल के मुकाबले बढ़त और पूंजी बाजार में तरलता अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है जो बताते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतियों के लिए तैयार है.

साफ है देश को वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (373.43 लाख करोड़ रुपये) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर (104.56 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने होंगे.

इसका यह अभिप्राय है कि सरकार अपना राजकोषीय घाटा और कर्ज लेकर नहीं बढ़ाना चाहेगी बल्कि कोशिश यह करेगी कि राजस्व में बढ़ोत्तरी हो और इसके लिए व्यापारिक वृद्धि और इंसेनटिव पर काम करना होगा.

सरकार इस बजट में आम आदमी और व्यापारी को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करेगी, लेकिन टैक्स कटौती या उनकी जेब में अधिक पैसे बचे ऐसे प्रावधानों की संभावना कम ही लगती है.

रोजगार बढ़ाने हेतु कदम जरूर होंगे लेकिन कितने सफल होंगे यह कहना मुश्किल है पर यह बात पक्की है कि मंहगाई पर नियंत्रण संभव नहीं क्योंकि अब दामों का बढ़ना विश्व व्यापी समस्या बन रही है.

राजस्व की पूर्ति और सरकारी खर्चे बढ़ाने के लिए सरकारी उपक्रमों का विनिवेश बड़े स्तर पर तय है.

आपूर्ति बढ़ाने पर सरकार का फोकस होगा लेकिन जरूरत मांग बढ़ाने की है जो लोगो के हाथ में ज्यादा पैसे देने से होगी.

आर्थिक सर्वेक्षण साफ तौर पर सरकार का ध्यान आपूर्ति की तरफ ले जा रहा है और अब बजट का पिटारा खुलने पर ही समझ आएगा कि वित्त मंत्री ने आपूर्ति और मांग को कैसे बैलेंस किया और अर्थव्यवस्था को चुनौतियां झेलने के लिए क्या तैयारियां है.

आर्थिक सर्वे की खास बातें

●. आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ सुस्त रह सकती है और यह 8-8.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. चालू वित्त वर्ष में यह 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है.

● अगले वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का आकलन 70-75 अमेरिकी डॉलर के भाव पर कच्चे तेल के आधार पर है. इसका मौजूदा भाव करीब 90 डॉलर है.

● आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 20 साल में पहली बार किसी सरकारी कंपनी का निजीकरण हुआ और यह बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक, बीईएम और आरआईएनएल की बिक्री के लिए रास्ता मजबूत करेगा.

सरकार ने कुछ ही दिन पहले टाटा ग्रुप को एयर इंडिया का स्वामित्व 18 हजार करोड़ रुपये में सौंप दिया. इसमें 15300 करोड़ रुपये कर्ज चुकता करने में किया जाएगा.

● आर्थिक सर्वे के मुताबिक ई-कॉमर्स को छोड़ आईटी-बीपीओ सेक्टर वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना आधार पर 2.26 फीसदी की दर से बढ़कर 19.4 हजार करोड़ डॉलर का हो गया.

● आर्थिक सर्वे के मुताबिक रिन्यूएबल्स को प्रोत्साहन दिए जाने के बावजूद नीति आयोग ते ड्राफ्ट नेशनल एनर्जी पॉलिसी के आधार पर कोयले की मांग बनी रहेगी और वर्ष 2030 तक 130-150 करोड कोयले की मांग रहेगी.

वैकल्पिक इनर्जी क्षेत्र, ई-कामर्स क्षेत्र, टेक्नोलॉजी क्षेत्र में प्रोत्साहन नीति की घोषणा संभव लेकिन यह सब ठीक जब तक तेल के दाम नियंत्रण में. जहाँ तेल बढ़ा वहाँ खेल बिगड़ भी सकता है.

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