अदभुत शक्ति वाला ताबीज़ है,आयुष्मान कार्ड
सत्यम तिवारी
जबलपुर- जो गरीब हैं उन्हें रुपये दिलाता है, जो बीमार हैं उन्हें इलाज दिलवाता है। जो बीमार नहीं भी हैं उन्हें भी भयंकर खर्चे वाली बीमारी का मरीज़ कहलाने का रुतबा दिलाता है। इलाज भी अस्पताल में नहीं बल्कि आलीशान होटल के आरामदायक कमरों में दिलवाता है। जिनकी जेब मे फुटपाथ से खाना खरीदने लायक रुपया नहीं उन्हें होटल का खाना खिलवाता है।
बस दयालू सरकार का अदभुत चमत्कारी ताबीज़ आयुष्मान कार्ड गले में डालो और निकल पड़ो तनकर। बड़े बड़े डॉक्टर और अस्पताल मालिक आपके पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाएंगे कि हे सरकारी मामा के जीजाजी कृपया मेरे अस्पताल में अपने चरण कमल रख दें ताकि आपको प्रदत्त आयुष्मान ताबीज़ की कृपा से मैं अपनी दरिद्रता दूर भगा सकूँ।
सरकार की उदारता तरक्की व लोकप्रियता से उपजी एसिडिटी व नफरत की पेचिश से परेशान लोग फिजूल में सरकार को कोसते रहते हैं? कभी जाकर उनसे पूछो जिनके गले में सरकार ने आयुष्मान कार्ड लटकाये है? सरकार जानती है कि जनसंख्या नियंत्रण और आत्मनिर्भरता से उदरपोषण अस्पतालों से बेहतर कोई और नहीं सकता। यही वजह थी कि काल के काले काल कोरोनाकाल में सरकार ने अस्पतालों को कह दिया कि जी भरकर कमाई करो ना। आयुष्मान कार्ड की शक्ति तुम्हारे साथ है। 75 सालों बाद अच्छे दिन आये हैं कि अब अस्पताल मालिक चाहें तो बता दें कि मरीज़ की आंखों में भयंकर बवासीर है जिसके लिये पेट का ऑपरेशन करना पड़ेगा इसमें इतने लाख का खर्च आएगा। सरकार फौरन कहेगी “आयुष्मान भवः” लेकिन इलाज हरहाल में होना चाहिए।