आरक्षण को 8वीं अनुसूची में डालने की मांग कर रहे एसी-एसटी विधायकों से भाजपा करेगी संपर्क
उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणी के बाद एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है।
राजनीतिक पार्टियों ने इस मुद्दे को हवा देना भी शुरू कर दिया है। मौके की संजीदगी को देखते हुए भाजपा नेतृत्व और सरकार सजग हो गई है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और अनुसूचित जाति जनजाती आयोग के पूर्व अध्यक्ष विजय सोनकर शास्त्री कहते हैं, इस मुद्दे पर पार्टी का रुख एक दम साफ है। हम सामाजिक न्याय के साथ हैं। कुछ लोग आरक्षण को गंभीरता से नहीं लेते। वैसे लोगों को आरक्षण को समझने के लिए बाबा साहब अंबेडकर को समझना होगा। भाजपा तब तक आरक्षण के पक्ष में है, जब तक समाज में सामाजिक बराबरी नहीं आ जाती है। ऐसे में हम भाजपा के रुख से समाज को बताएंगे, साथ ही यह भी बताएंगे कि जो लोग आरक्षण को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं, वह ठीक नहीं है।
अदालत की टिप्पणी आते ही बिहार में राजनीतिक तेज हो गई है। आरक्षण बचाओ के नाम पर बनी अनुसूचित जाति, जनजाति मोर्चा से राजद अलग हो गया है। राजद ने आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर आरक्षण बचाओ मोर्चा ने देशभर के सभी 1082 अनुसूचित जाति, जनजाति विधायकों की दिल्ली में एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। ये विधायक आरक्षण को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। समय रहते भाजपा ने देश भर के सभी एससी, एसटी विधायकों और सांसदों को विश्वास में लेने का मन बनाया है।