Uncategorized

प्री-लिटिगेशन मीडियेशन से कोर्ट के भार को कम करें : मुख्यममंत्री श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आपसी विवादों को निपटाने के लिये प्री- लिटिगेशन मीडियेशन को अपनाने की आवश्यकता है। यह व्यवस्था उच्च न्यायालय के भार को कम करने और लम्बित मुकदमों को सुलझाने के लिये महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय, सरकार और न्यायपालिका के मध्य सेतु का कार्य करता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज जबलपुर में महाधिवक्ता कार्यालय भवन “नव सृजन” के भूमि-पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने प्रदेश में लागू पेसा नियम की जानकारी देते हुए कहा कि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में शांति एवं विवाद निवारण समिति बनाई गई है, जो गाँवों के स्थानीय विवादों को सुलझाती है। ऐसे कई मामले इन समितियों द्वारा निराकृत किये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की तर्ज पर ही गाँव में भी इसी तर्ज पर समितियाँ बनाई जाये, जो आपसी विवादों को सुलझा सकें। इसके लिये कानूनी प्रावधान के साथ मॉडल तैयार करें। यह गाँवों के विवादों को सुलझाने में क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जबलपुर में अधिवक्ता कार्यालय भवन की आवश्यकता थी। पहले अधिवक्ताओं के लिये पर्याप्त स्थान नहीं था। बदलते समय के साथ यह भवन अधिवक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा। आधुनिक तरीके से बनाया जाने वाला भवन न्यायालयीन कार्यों को त्वरित रूप से निपटाने में उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने न्यायाधीश और अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट की एनेक्सी तैयार करने पर विचार करने के लिये कहा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि उनके जीवन को सफल बनाने में स्वामी विवेकानंद के विचारों का बहुत बड़ा योगदान है। वे मेरे प्रेरणा-स्त्रोत है। स्वामीजी ने कहा था कि मनुष्य केवल साढ़े तीन हाथ का हाड़-मांस का पुतला नहीं है। वह अमृत का पुत्र, ईश्वर का अंश और अनंत शक्तियों का भंडार है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अगर ठान ले तो वह बड़े से बड़ा काम कर सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि ब्रिटिश शासनकाल के अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को हटाया जा रहा है। महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह ने स्वागत भाषण दिया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में की जा रही लोक अदालतों से भी उच्च न्यायालय पर पड़ रहे अनावश्यक भार को कम किया जा रहा है। देरी से मिलने वाला न्याय, न्याय नहीं है। अमृत काल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक मंत्र दिया है, जिसमें उन्होंने न्याय के 6 स्तंभ बताये हैं। इसमें पहला सभी के लिये न्याय, दूसरा आसान न्याय, तीसरा सस्ता न्याय, चौथा त्वरित न्याय, पाँचवां गुणवत्ता पूर्ण न्याय एवं छठवाँ आम आदमी को सरल भाषा में समझ आने वाला न्याय।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आम नागरिक को कोर्ट के फैसले समझ में आयें, इसके लिए हिंदी भाषा में यह व्यवस्था करनी चाहिए। न्याय की परम्परा और जीवन मूल्यों को बना कर उच्च न्यायालय ने अपनी पहचान बनाई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा हिन्दी में देने वाला देश का पहला राज्य है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि न्याय को जनता के और निकट पहुँचाने का कार्य किया जाये। महाधिवक्ता कार्यालय जटिल मुकदमों में भी सरकार के पक्ष को रखता है। उन्होंने महाधिवक्ता कार्यालय भवन के लिये सभी को बधाई दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री मेनन ने कहा कि महाधिवक्ता भवन वर्तमान की जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। व्यक्ति के साथ न्याय हो, यही मंशा न्यायालय की होती है। उन्होंने बताया कि कोर्ट के भार को कम करने के लिये विभिन्न न्यायालयों में प्री-लिटिगेशन मीडियेशन महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमठ ने कहा कि वह आज इस पुनीत कार्य में सहभागी बन रहे हैं। यह भवन निश्चित समय-सीमा में तैयार हो। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान ईंट और सीमेंट से नहीं बनता, अपितु कठोर परिश्रम, ईमानदारी एवं प्रतिबद्धता से तैयार होता है। पशु और मनुष्य में एक बड़ा अंतर यह है कि मनुष्य को सोचने की शक्ति प्राप्त है। उन्होंने आहवान किया कि इस शक्ति का उपयोग कर जीवन को सार्थक बनायें।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री जे.के. माहेश्वरी ने विचारों की शक्ति का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के विचार व्यक्ति के जीवन को सफलता के पायदान पर बनाये रखने में महत्वपूर्ण है। इन महापुरूषों के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।

प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं विशिष्ट अतिथियों ने कन्या-पूजन कर विधि-विधान से भवन का भूमि-पूजन किया। लोकसभा सांसद श्री राकेश सिंह, राज्य सभा सांसद श्रीमती सुमित्रा बाल्मिक, डीआईजी श्री उमेश जोगा, कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन, एसपी श्री टी.के. विद्यार्थी सहित न्यायाधीश, अधिवक्ता और बार एसोसियेशन के सदस्य मौजूद थे।

Tags

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Close
Close