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भारत में रहना होगा तो वंदे मातरम कहना होगा : समरसता सेवा संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी ने दिया आशीर्वचन

जबलपुर। समरसता वचन से नही मन से होती है यदि हम मन से समरस बन जाये तो समरसता अपने आप आ जायेगी और भगवान श्रीराम ने समरसता को पहले मन मे उतारा और फिर उसका वचन निभाया उक्ताशय के उद्गार तुलसीपीठाधीश्वर पदम विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने समरसता सेवा संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में “श्रीराम का समरस एवँ समर्थ भारत” विषय पर व्यख्यान देते हुए शहीद स्मारक गोलबाजार में दिए।

स्वस्ति वाचन के साथ दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन एवँ सचिव उज्ज्वल पचौरी द्वारा उपस्थित पूज्य संतो का स्वागत कर आशीर्वाद लिया।

स्वामी जी ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा भारत शब्द की निरुक्ति पर जाता है तो सामान्य रूप से भरत के नाम से भारत को जाना जाता है किंतु यह जयंती ऋषभ के पुत्र भरत, शकुंतला पुत्र भरत का और कैकई पुत्र भरत का और यह तिरंगा झंडे के जैसे तीन रंग है जिनमे केसरिया जयंती पुत्र से श्वेत शकुंतला पुत्र भरत से और हरा रंग कैकई पुत्र भरत है।

भारत तीन शब्दो को मिलकर बनाता है जिनमे भ का भगवान आ का अर्थ आदर और रत का अर्थ है प्रेम और जिसे देश मे भगवान राम का आदर भी है और प्रेम भी है उसका नाम है भारत।

भारत में समरसता प्रारम्भ काल से ही रही

उन्होंने कहा भारत मे समरसता प्रारम्भ से है विरसता तो कुर्सी के लालची नेताओ ने किया हमारे यहां जाति और वर्ण थे किंतु जातिवाद नही था। स्वतंत्रता के पश्चात यदि जाति के आधार पर आरक्षण नही होता तो जातिवाद कभी नही आता।

ऋग्वेद से लेकर हनुमान चालीसा तक भारतीय वैदिक वंगमान्य में कभी विरसता की चर्चा नही आई।

उन्होंने कहा रामचरित मानस की चौपाई भी कहती है कि चलना है तो एक साथ मिलकर चलो, बोलना है तो एक स्वर में बोलो, कोई संकल्प हो तो सबके मन एक साथ संकल्प करें। जिस प्रकार यज्ञ में आमंत्रित करने में सभी देवता आ जाते है तो भारत के 140 करोड़ लोग एक साथ यदि कोई बात कहे तो कोई भी सरकार बात को नकार नही सकता और यदि हमारा एक स्वर हो जाये तो सरकार हमे नही नचा सकती बल्कि सरकार को नचा सकते है।

उन्होंने कहा हमारे देश मे करोड़ो वर्ष पहले से समरसता थी भगवान राम के राज्य में कोई वीआईपी नही थी बल्कि प्रत्येक भारतीय वीआईपी थे।
अयोध्या के रामघाट पर चारो वर्णों लोग एक साथ नहाते थे
भारत से जब तक वीआईपी की परंपरा नही जाएगी तब तक भारत समर्थ भारत नही बन सकता। जहां गिद्ध को और कुत्ते को भी न्याय मिलता हो यह हमारा भारत था और आज एक एक मुकदमा चालीस से पचास वर्ष तक चलते है, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि का मुकदमा 1949 से 9 नवंबर 2019 तक मुकदमा चला तब हमें न्याय मिल पाया।

उन्होंने कहा हमारे यहां चार वर्ण थे और हमारे यहां सवर्ण और असवर्ण था ही नही और न ही किसी ने शेड्यूल कास्ट की बात की थी। भगवान के चारो वर्ण बेटे है और और वर्ण व्यवस्था भगवान ने बनाई और कर्म के आधार पर अपने चारों बेटों का नाम रखा जिनमे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र प्रगट हुए।

उन्होंने कहा समरसता का मंत्र समाज मे फैली विरसता के दुर्गंध को मिटाता है। हमे भारत को एक भारत अखंड भारत, समरस भारत समर्थ भारत बनाना है।

उन्होंने कहा भगवान राम जैसी समरसता कही नही मिलेगी और उसका उदाहरण है कि भगवान राम जिस विश्विद्यालय में पढ़ते थे और उसी में निषादराज भी पढ़ते थे। रामायण में चक्रवर्ती सम्राट के बेटे ने केवट से नाव की भीख मांगी थी यह भगवान राम के भारत की समरसता थी।
उन्होंने कहा श्रीराम की समरसता इतनी व्यापक है जिसने पशुओं के मन से भी भेदभाव हटा दिया। भगवान ने तो वानर जैसे बदमाश प्राणियों को भी अनुशासन सीखा दिया।

उन्होंने कहा हम अखंड भारत चाह रहे थे किन्तु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा ने देश का बंटवारा मजहब के आधार पर करा दिया फिर भी हमने कहा किसी भी धर्म को मानने वाले
रघुवर और यदुवर के होकर रहना है तो रह लो किन्तु बाबर का होकर नही रह सकते। भारत ने रहना होगा तो वंदे मातरम कहना होगा।

उन्होंने कहा समरस वही हो सकता है जो किसी का अमंगल नही चाहता है और सबको मंगल देने वाले का नाम ही राम है।

स्वामी जी ने कहा समरसता तब होगी जब शासक के प्रति जनता निर्भीक हो जाएगी। भगवान राम के काल मे हर प्राणी निर्भीक था। भगवान ने कहा था कि यदि मैं नीति के विरुद्ध बोलूं तो मुझे रोक देना। जब तक डर बना रहेगा तब तक न देश समरस बनेगा न ही समर्थ बनेगा। स्वतंत्रता का पक्षधर होना चहिए स्वछंदता का नही।

पूज्य महाराज जी ने कहा प्रधानमंत्री मोदी जी अच्छा काम कर रहे है कश्मीर में 370 और धारा 35ए हट गई है और यदि सामान नागरिक सहिंता लग जाये, रामचरित मानस राष्ट्र ग्रंथ बन जाए, गौ माता को राष्ट्र धरोहर बन जाये तो हम 10 वर्षों में ही विश्व गुरु बन जाएंगे।

पूज्य महाराजी ने कार्यक्रम के अंत में कहा आप सभी श्रीराम के आदर्शों का पालन करते हुए समरसता का कार्य कीजिये मैं आपके सदैव आपके साथ हूँ।

स्वागत भाषण एवँ कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए हुए समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने कहा सामाजिक एकता को बढ़ाने के लिये समरसता के क्षेत्र में कार्य करने का विचार हुआ तो 20 दिसंबर को संत गाडगे जी महाराजी की पुण्यतिथि पर हमने संगठन की शुरुआत पर विचार किया औरसंत रविदास जी की जयंती पर हमारी प्रथम बैठक हुई और निर्णय लिया कि संगठन का प्रथम कार्यक्रम स्वामी रामभद्राचार्य जी के आशीर्वचन से हो और महाराज श्री की उपस्थिति संस्कारधानी का सौभाग्य है चूंकि माँ नर्मदा के पावन भूमि में निवासरत हम लोगों को परमपूज्य का आशीर्वाद मिलना था तो शारीरिक कष्ट होने के बाद भी महाराज जी हमे आशीर्वाद देने पधारे।

उन्होंने बताया कि हमारा संगठन वर्ष में जितने भी सभी समाजो के आराध्य और पूज्य है उनकी जयंती को सामजिक समरसता के माध्यम से मनायेंगे और समाज में समरसता की धारा प्रवाहित करने का प्रयास करेंगे जिसका शुभारंभ आज परमपूज्य के आगमन के साथ हुआ है।

कार्यक्रम में सुखानंद द्वाराचार्य जगद्गुरु स्वामी राघव देवाचार्य जी, चित्रकूट से पधारे स्वामी रामचंददास, दंडी स्वामी कालिकानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद जी महाराज, स्वामी गिरिशनन्द जी सरस्वती, स्वामी पगलानंद जी, डॉ राधेचैतन्य, साध्वी संपूर्णा जी, साध्वी शिरोमणी, स्वामी रामभारती, संत केवलपुरी, स्वामी रामशरण, स्वामी रामकृष्णदास, स्वामी रामचार्य, स्वामी राजेशदास, मौनी बाबा, महंत प्रकाशानंद, सिख समाज से श्री हरजीत सिंह जी, बौद्ध समाज से वंते दम्मा शरण ने कार्यक्रम में पहुँचकर अपना आशीर्वाद दिया।

कार्यक्रम में साँसद राकेश सिंह, राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि, विधायक अजय विश्नोई,  नंदनी मरावी, कुलपति कपिलदेव मिश्रा, अखिलेश जैन, अंचल सोनकर, हरेंद्रजीत सिंह बब्बू, सुशीला सिंह, कैलाश जाटव, स्वाति गोडबोले, रिंकू विज, अभिलाष पांडे, प्रो डॉ आनंद सिंह राणा, के साथ प्रबुद्धजन शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिजातकृष्ण त्रिपाठी एवँ आभार डॉ जितेंद्र जामदार ने व्यक्त किया।

समरसता सेवा संगठन ने निकाली भव्य शोभायात्रा :-* जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज के आगमन के पूर्व समरसता सेवा संगठन द्वारा सुखानंद द्वाराचार्य जगद्गुरु स्वामी राघवदेवाचार्य जी महाराज की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा निकाली जो श्रीराम जानकी मंदिर छोटा फुहारा से प्रारम्भ होकर मिलोनीगंज, कोतवाली, सराफा, कमानिया गेट, बड़ा फुहारा, लार्डगंज, सुपर मार्केट, मालवीय चौक से होते हुए शहीद स्मारक गोलबाजार में आयोजित कार्यक्रम स्थल में सम्पन्न हुई।
शोभायात्रा में संतजनों के साथ ही मुख्य रूप से साँसद राकेश सिंह, विधायक सुशील तिवारी इंदु, विनय सक्सेना, पूर्व विधायक शरद जैन, धीरज पटेरिया के साथ गणमान्य जन बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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