11 और 14 वर्ष के बच्चों ने ऐसे की हत्या,कि क्राइम पेट्रोल भी फीका पड़ जाए….
सिवनी– बरघाट तहसील के गांव में तीन नाबालिगों ने अपने नाबालिग दोस्त की हत्या कर दी। तीनों ने बालक को एक कमरे में बंद कर गला घोंटा, इसके बाद गर्दन में चाकू मारकर और पत्थर से कुचलकर जान ले ली। वारदात के बाद आरोपी शव को ठिकाने लगाने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही पकड़े गए। आरोपी क्राइम सीरियल देखने और पब्जी जैसे हिंसक गेम खेलने के आदी भी हैं। मृत मासूम का सिर्फ अपनी बहन से छेड़छाड़ करने से रोकने की बात बोली थी लेकिन , इन किशोरों ने उसकी बेरहमी से हत्या की साजिश रच ली और जलेबी खिलाने के बहाने बुलाकर कमरे में ले जाकर एकदम क्रूरतम ढंग से हत्या कर दी। जबकि मुख्य आरोपी ने रविवार दोपहर में मृत मासूम को जलेबी खिलाने के बहाने अपने घर बुलाया था । जहां उसके दो पहले से ही मौजूद थे। आरोपियों ने मेन गेट को पहले बाहर से ताला लगा दिया। फिर 16 साल का मुख्य आरोपी पीछे के दरवाजे से घर में पहुंचा। और इस जघन्य हत्या को मिलकर अंजाम दिया।
👉🏽ये रहा घटनाक्रम
जिले के बरघाट थाना क्षेत्र में 12 वर्षीय बालक का 16 वर्षीय दोस्त उसकी 9 वीं कक्षा में पढ़ने वाली मृतक की बहन से छेड़छाड़ करता था। रास्ते में आते-जाते समय मृत मासूम की बहन को देखकर गाने गाकर अश्लीलता करता था। बहन से बात करने का प्रयास करता था। जब बहन ने इसकी जानकारी परिजन को दी तो उन्होंने भी नाबालिग आरोपी को समझाया था। जब यह बात मृतक मासूम को पता चली तो उसने दोस्त को टोका और ऐसा नहीं करने को कहा। यह बात आरोपी को बहुत ही नागवार गुजरी। उसने अपने 11 और 14 साल के दो नाबालिग साथियों के साथ बालक को मारने का प्लान बिल्कुल टीवी के क्राइम सीरीयल से भी खतरनाक ढंग से बना लिया।
👉🏽साउंड तेज कर मौत सुनिश्चित करने कई तरह से मारा
आरोपियों ने पूरी प्लानिंग के तहत मृत बच्चे को घर बुलाया और उसने घर पर साउंड सिस्टम को तेज कर दिया। घर का कूलर चालू कर दिया, ताकि लोगों को लगे कि वह अपने घर में गाने सुन रहा है। अपने दोनों दोस्तों के साथ साइकिल की चेन से नाबालिग का गला घोंटा जब उन्हें लगा कि गला घोंटने से उसकी मौत नहीं हुई है तो उन्होंने मांस मटन काटने के चाकू से नाबालिग की गर्दन, पेट, हाथ व शरीर में कई जगह पर वार किए। जब इसके बाद भी मौत नहीं होने पर मसाला बांटने के सिलबट्टे से सिर में कई वार किए।
👉🏽लाश ठिकाने लगाने लगाया शातिर दिमाग
मासूम बच्चे की हत्या के बाद घर में खून फैलने पर तीनों आरोपियों ने शव को एक बड़ी पॉलीथिन में रखा। जिससे खून रास्ते मे भी न गिरे जिसके बाद लाश बोरे में रख लिया की पालीथिन से बाहर दिखे न । यहां से तीनों शव को गांव से दूर फेंकने जा रहे थे। लेकिन गांव में लोगों की आवाजाही की वजह से शव के बोरे को मृतक के घर के पीछे वाले हिस्से में ले गए। यहां लोगों की हलचल देखकर शव को छोड़कर आ गए। इसके बाद गाड़ी की व्यवस्था करने गए थे।
👉🏽ऐसे खुला हत्या का राज
मृतक के पड़ोस में रहने वाली महिला अपने आंगन में बर्तन धोने आई थी, जिसकी नजर बोरे पर पड़ी तो उसे बोरे में से पैर दिखाई दिया। महिला ने आसपास के लोगों को बुलाकर बताया। गांव के लोग मौके पर पहुंचे और देखकर उन्होंने पुलिस को बुलाकर बोरे से शव निकाला। नाबालिग का शव देखकर परिजन और गांव के लोग हक्का बक्का रह गए। जिसके बाद पुलिस की पूछताछ शुरू हुई और बरघाट पुलिस ने गांव में पूछताछ की तो पता चला कि 12 वर्षीय बालक काे आखिरी बार दोपहर करीब 12 बजे गांव के तीनों नाबालिगों के साथ दिखाई दिया था। पुलिस ने जब तीनों से सख्ती से पूछताछ की। तीनों ने जुर्म कबूलते हुए बताया कि उन्होंने ही बालक की हत्या की है। पुलिस ने सभी को हिरासत में ले कर बाल न्यायालय पहुंचा दिया है।
👉🏽आरोपी किशोरों का चाल चलन आदतन अपराधी जैसा था
गांव के लोगों ने बताया कि मुख्य आरोपी पहले बरघाट के पास रहता था। वहां उसकी गलत हरकतों को देखकर लोगों ने भगा दिया था। इसके बाद ये लोग मगरकठा आ गए। करीब दो साल से यहां रहने लगे थे । यहां भी इन लोगों ने अपनी गलत हरकतें नहीं छोड़ी थी। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इन सब की हरकतें आदतन अपराधी जैसे थी किसी को भी मारने की धमकी देना , किसी भी विवाद कर लेना। जबकि मृतक के पिता, दादी, मां,और बहन व स्थानीय लोगों का कहना है कि तीनों आरोपियों के मकान तोड़े जाएं और उन्हें फांसी की सजा दी जाए।
👉🏽आरोपी मोबाइल में हिंसक गेम और क्राइम स्टोरी देखने के शौकीन थे
सिवनी एसपी रामजी श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों नाबालिग टीवी पर क्राइम सीरियल और मोबाइल पर गेम व क्राइम से संबंधित सीरियल देखते थे। उन्होंने बालक का गला घोंटने के बाद चेन को गले से नहीं निकाला। इसके बाद साक्ष्य छिपाने का भी प्रयास किया। जिससे उनके दिमाग मे अपराध करके बच निकलने का साहस मिलता रहा ।
👉🏽इनका कहना है…..
मोबाइल गेम और क्राइम सीरियल की लत से बच्चो में मानसिक हिंसा बढ़ती है और उसे असल जीवन मे अपनाने लगते हैं , हिंसक टीवी प्रोग्राम और मोबाइल से बच्चो को दूर रखना चाहिए। ये जनरलाइज्ड एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर का संकेत हो सकता है।
डॉ. सारंग पण्डित, मनोचिकित्सक
बल्देवबाग, जबलपुर