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उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जबलपुर में सामूहिक योग प्रदर्शन में भाग लिया

जबलपुर

उपराष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जबलपुर में आयोजित सामूहिक योगाभ्यास में सम्मिलित हुए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि योग एक दिन का ही नहीं बल्कि हर दिन का है।

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग किसी व्यक्ति मात्र के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए है। यह वसुधैव कुटुंबकम् की हमारी सांस्कृतिक सोच को परिलक्षित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर  उन्होंने इस वर्ष की थीम “वसुधैव कुटुंबकम् के लिए योग” को, इस वर्ष भारत की मेजबानी में आयोजित किए जा रहे G 20 शिखर सम्मेलन की विषयवस्तु “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” के अनुकूल बताते हुए कहा कि यह अवसर विश्व बंधुत्व का संदेश देता है।

योग को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए भागीरथ प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति श्री धनखड़  ने कहा कि 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में प्रधानमंत्री ने योग की जो अवधारणा विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत की थी कि “योग हमारी पुरातन पारंपरिक अमूल्य देन है, योग मन व शरीर, विचार व कर्म, संयम व उपलब्धि की एकात्मता तथा मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य का मूर्त रूप है। वह स्वास्थ्य और कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है”, यह अवधारणा उसी वर्ष 11 दिसंबर 2014 को इतने कम समय में ही, विश्व समुदाय के 193 सदस्य देशों के समर्थन से फलीभूत हुई, जब संयुक्त राष्ट्र ने प्रति वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार किया।

21 जून के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सूर्य से निकटतम होने के कारण, विश्व के बड़े हिस्से में आज वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है। उन्होंने बताया कि भारतीय समयानुसार आज शाम 5.30 बजे से 6.30 बजे तक, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के नॉर्थ लॉन से, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, दुनिया के 180 देशों के नागरिक योगाभ्यास करेंगे।

उपराष्ट्रपति ने देश के नागरिकों से इस गौरवशाली अवसर का लाभ उठाने का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के दृष्टिकोण में भारत के प्रति जो सकारात्मक बदलाव आया है वो दिखता है। उन्होंने कहा कि आज अनेक लोग योग को अपना कैरियर बना रहे हैं। प्रशिक्षित योग गुरु, विश्व भर में भारत के राजदूत के रूप में योग का प्रशिक्षण और प्रसार कर रहे हैं।

भारतीय पारंपरिक विचार पद्धति “पहला सुख निरोगी काया” का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग राष्ट्र की उन्नति में सहायक होगा। इस संदर्भ में उन्होंने हाल के वर्षों में भारत की आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि आज हमारी आर्थिक शक्ति उनसे भी कहीं आगे निकल गई है जिन्होंने हम पर सदियों राज किया। उन्होंने युवाओं का आह्वाहन किया कि भारत बदल रहा है और “इस दशक के अंत तक हम तीसरी महाशक्ति होंगें।” उन्होंने कहा कि 2022 में डिजिटल ट्रांसफर में भारत ने कीर्तिमान स्थापित किया। अमेरिका, यूके, फ्रांस, जर्मनी के सम्मिलित डिजिटल लेन देन के चार गुना से भी अधिक डिजिटल लेन देन भारत में हुआ। श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीयता की खासियत है कि हम स्किल को तुरंत ही सीख लेते हैं।2022 में हमारे 70 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं द्वारा प्रति व्यक्ति जितना कंजप्शन किया गया वो अमेरिका और चीन से अधिक है।

 

उपराष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि 2047 तक जब देश अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा हम “विश्वगुरु” के रूप में दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर होंगें।

योगाभ्यास समारोह के अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल, पद्म भूषण से सम्मानित रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष दाजी श्री कमलेश पटेल, अनेक सांसद, विधायक, जन प्रतिनिधि तथा नागरिकों ने भाग लिया।

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