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पुरातत्व विभाग की घोर लापरवाही… ऐतिहासिक और बेशकीमती मालादेवी की मूर्ति की सुरक्षा खतरे में… बरसों से नदारद है सुरक्षा गार्ड … तस्कर कर चुके हैं पूर्व में चोरी का प्रयास…. प्रशासन ने किया था बरामद..

♦ VILOK PATHAK

जबलपुर के उपनगरीय क्षेत्र गढ़ा के पुरवा मोहल्ले मैं स्थित गोंडवाना कालीन साम्राज्य में ऐतिहासिक और बेशकीमती महालक्ष्मी स्वरूपा माला देवी की प्रतिमा  इस समय पुरातत्व विभाग की घोर लापरवाही और उपेक्षा का शिकार है | पूर्व में तस्करों ने इस बेशकीमती मूर्ति को चुराया था जिसके बाद न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में हड़कंप मच गया था |  बाद में प्रशासन ने इलाहाबाद के गंगा तट पर रेत के नीचे से इस मूर्ति को बरामद किया था |  चोर इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने की फिराक में थे |  प्रशासन की सक्रियता से मां भगवती की प्रतिमा  बच गई   | जिसे बाद में पुरातत्व ने सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना और वहां पर चिन्हित करके गार्ड तैनात कर दिए थे | परंतु यह बात अब पुरानी हो गई वर्तमान में यह मंदिर और प्रतिमा लापरवाही के चलते असुरक्षित हो गई है  |

न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन की टीम जब वास्तविकता जानने के लिए वहां पहुंची तो वहां के हालात बदतर थे मंदिर में चारों तरफ गंदगी का अंबार है, वही मां मालादेवी की प्रतिमा में काई एवं गंदगी लग चुकी थी |  पार्षद जीतू कटारे से संपर्क करने पर वह तुरंत मंदिर पहुंचे एवं उन्होंने क्षेत्रीय पार्षद रोहित साहू को बुलाया  | इसके बाद नगर निगम की प्रेशर  गाड़ी से मंदिर साफ किया गया  | जनजाति कल्याण संस्था के पदाधिकारियों ने मंदिर और प्रतिमा की सफाई की पार्षद जीतू कटारे, पार्षद राहुल साहू शशि उचौलिया जनजाति जन कल्याण संस्था की सारिका मरावी, अंजना इनवाती, वंदना तेकाम, राजश्री मरावी के द्वारा माता के श्रृंगार के साथ विधिवत पूजन अर्चन किया गया |

पार्षद ने लगाया आरोप मंदिर में नहीं है कोई सुरक्षा गार्ड

पार्षद जीतू कटारे ने बताया की मंदिर में विगत 1 वर्ष से भी ज्यादा समय से कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है जबकि पूर्व में यहां सुरक्षा गार्ड तैनात थे |  हालात यह है कि अब मंदिर रात भर खुला रहता है एवं कोई देखरेख नहीं है | मां की यह भव्य प्रतिमा इसी तरह असुरक्षित रूप से यहां पर है  पार्षद जीतू कटारे पार्षद रोहित साहू ने पुरातत्व विभाग की घोर लापरवाही की निंदा की है |

रंग बदलती है चमत्कारी प्रतिमा

कुछ बुजुर्गों के बताने के अनुसार मालादेवी की प्रतिमा रंग बदलती है सुबह दोपहर रात में प्रतिमा का कलर बदलते देखा गया है जोकि अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है वही इस मामले में पुरातत्व विभाग का कोई तर्क नहीं है

माला देवी के इतिहास के बारे में कहा जाता है यह प्रतिमा छठी शताब्दी की  है | जो कि महालक्ष्मी के स्वरूप में है | राजा संग्राम शाह द्वारा  मंदिर का निर्माण कराया गया था | यह मूर्ति चित्रांकन की दृष्टि से अद्वितीय है | माला देवी की 4 हाथों वाली मूर्ति कमल पर ललिता सन मुद्रा में बैठी है और उनका दाहिना पैर कमल पर है , उनके सिर पर मुकुट ,कान में चक्र कुंडल, गले में तीन माला , मूर्ति के कमर में करधनी, बाजूबंद, कंगन ,हाथों में चूड़ियां , और पैरों में पायल एवं  शंख धारण किए हुए हैं | दाहिना हाथ वरदान देने की मुद्रा में है और ऊपर के दोनों हाथ खंडित हैं |

इस अद्भुत और ऐतिहासिक बेशकीमती प्रतिमा के प्रति पुरातत्व विभाग एवं प्रशासन की घोर लापरवाही वाकई चिंतनीय है | केवल कागजों पर अपनी वाहवाही लूटने वाले इस विभाग ने इस ऐतिहासिक प्रतिमा और मंदिर को शायद भगवान भरोसे छोड़ दिया है |

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