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NSCB मेडिकल कॉलेज के स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन में अनियमितता के चलते 5 डॉक्टरों ने दिया स्तीफा

जबलपुर NSCB मेडिकल कॉलेज के स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन में परेशानी का आलम थमने का नाम ही नहीं ले रहा। यहाँ के डायरेक्टर पर  तानाशाही एवं पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप स्टाफ ने लगाया है । स्टाफ का कहना है कि  अनियमितताओं को लेकर बहुत बार उच्चाधिकारियों से शिकायत हो चुकी है ।

उल्लेखनीय है कि विगत दिनो डॉ जितेन्द्र भार्गव को डायरेक्टर पद से हटाकर डीन को डायरेक्टर का चार्ज दे दिया गया था। परंतु शासन के इस आदेश पर माननीय हाईकोर्ट ने स्टे दिया। अब डॉ जितेंद्र भार्गव ने पुनः डायरेक्टर पद पर ज्वाइन कर लिया है।
आरोप है कि रविवार को जब सारा ऑफिस बंद रहता है ऑफिस खोलना संदिग्ध स्थिति निर्मित करता है।  ज्ञात हो कि डॉ भार्गव के ख़िलाफ़ जाँच चल रही है। उसमें डॉ भार्गव तथ्यों से छेड़छाड़ ना कर पाएँ इसलिए इनसे चार्ज ले लिया गया था।

न्याय न मिलने से क्षुब्ध डॉक्टरों का स्तीफा

न्याय ना मिल पाने से निराश रेस्पिरेटरी विभाग के पाँचों वरिष्ठ विशेषज्ञों ने आज अपना त्यागपत्र दे दिया। सभी का कहना है की डॉ जितेंद्र भार्गव की डायरेक्टरशिप के अंडर वो सभी काम करने तैयार ही नहीं हैं।चाहे उनको नौकरी ही क्यों ना छोड़नी पड़े। सभी इस बात की माँग कर रहे हैं की रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को डीन के अंडर कर दिया जाये।  इन सभी डॉक्टरों का कहना है की इस कारण, मेडिकल कॉलेज के बाक़ी विभागों से अच्छे से समन्वय भी नहीं बन पा रहा है।
ज्ञात होवे की रेस्पिरेटरी विभाग के ये सभी वरिष्ठ विशेषज्ञ देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रशिक्षित हैं।इन सभी ने मेडिकल कॉलेज जॉइन किया था ताकि ये इस प्रशिक्षण का लाभ गरीब मरीज को दे सके। परंतु विभाग के माहौल के कारण ये मन लगाकर काम नहीं कर पा रहे हैं।  डायरेक्टर ने विभाग के कुछ ऐसे डाक्टरों को असंतोषजनक कार्य के नोटिस जारी किए हैं जिनका काम प्रदेश भर में सबसे अव्वल रहा है और इसकी पुष्टि के विश्वसनीय आँकड़े भी मौजूद हैं। सभी डाक्टर अब त्रस्त हो चुके हैं। सभी की सहनशीलता अब जवाब दे चुकी है। रोज़ रोज की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर सभी वरिष्ठ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विशेषज्ञों ने त्यागपत्र देने का निश्चय कर ही लिया।
इन पाँच डाक्टरों के इस्तीफ़े के साथ अब SEPM से इस्तीफ़ा देकर जाने वाले डाक्टरों की कुल संख्या (स्थापना से लेकर आज तक) ग्यारह हो चुकी है ।
नये पदों के विज्ञापन में भी नये चिकित्सक या तो आते नहीं हैं या फिर सिलेक्ट होकर भी जॉइन नहीं करते।
आख़िर इस संस्थान में ऐसा क्या है की अच्छी सैलरी, permanent government job, promotion के बेहतर अवसर होने के बाद भी डाक्टर SEPM में आने से कतराते हैं और जो कार्यरत हैं वह छोड़ कर जा रहे हैं ।

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