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बिरसा मुंडा जैसे वीरों ने भारतमाता का सम्मान बढ़ाया समरसता सेवा संगठन ने बिरसा मुंडा जयंती पर किया विचार गोष्ठी एवँ सम्मान समारोह का आयोजन

जबलपुर। स्वतंत्रता के आंदोलन में ऐसे क्रांतिकारी वीरों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया जो अंग्रेजी शासन को मिटाने के लिए युवा अवस्था मे ही सबकुछ त्याग कर मातृभूमि की रक्षा के लिए आगे खड़े रहे उनमें से एक युवा क्रांतिकारी बिरसा मुंडा थे जिन्होंने भारतमाता का सम्मान बढ़ाया, यह बात डॉ नरेंद्र शुक्ला ने समरसता सेवा संगठन द्वारा बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी एवँ सम्मान समारोह के अवसर पर जानकी रमण महाविद्यालय में कही। उन्होंने कहा बिरसा मुंडा ने बहुत कम उम्र में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था. उन्होंने ये लड़ाई तब शुरू की थी जब वो 25 साल के भी नहीं हुए थे. उनका जन्म 15 नवंबर, 1875 को मुंडा जनजाति में हुआ था।
जॉन हॉफ़मैन ने अपनी किताब ‘इनसाइक्लोपीडिया मंडारिका’ में लिखा था, “उनकी आँखों में बुद्धिमता की चमक थी और उनका रंग आम आदिवासियों की तुलना में कम काला था. बिरसा एक महिला से शादी करना चाहते थे, लेकिन जब वो जेल चले गए तो वो महिला उनके प्रति ईमानदार नहीं रही, इसलिए बिरसा ने उसे छोड़ दिया। मुख्य अतिथि श्री शरदचंद्र पालन ने कहा समसरता सेवा संगठन ने अद्वतीय कार्य कर रहा है जो सर्व समाज को लेकर लोगो में समरसता की भावना को पुनः जागृत कर रहा है इसके लिए संगठन को साधुवाद है। कार्यक्रम में शिक्षाविद डॉ शिवचन्द बल्के एवं श्री शंकर भूमिया का सम्मान किया गया। समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। संगठन वक्ता के रूप में डॉ अभिजात कृष्ण त्रिपाठी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सचिव उज्ज्वल पचौरी एवँ आभार टिकेंद्र यादव ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अभिमन्यु जैन, सुरेश मिश्र, यू एस दुबे, कौशल दुबे, आशुतोष दीक्षित, डॉ आंनद राणा, शंकर झमिया, शंकर चौदहा, सनी सोनकर आदि उपस्थित थे।

VILOK PATHAK / THE NI / NEWS INVESTIGATION

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