सड़क दुर्घटना में घायल हुए जोमैटो डिलीवरी बॉय कि हेलमेट ने बचाई जान …

देर रात ग्वारीघाट रोड पर सुख सागर मोटर्स के सामने जोमैटो डिलीवरी बॉय गाड़ी स्लिप हो जाने से घायल हो गया जिसे 108 की मदद से एम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया घटना के संबंध में बताया जाता है कि जोमैटो ब्वॉय चंडाल भाटा निवासी राम रईस चौधरी देर रात डिलीवरी देने अवधपुरी ग्वारीघाट जा रहा था | रास्ते में नींद का झटका आ जाने से उसकी गाड़ी स्लिप हो गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया सुनसान जगह पर पड़े जोमैटो बाय पर वहां से गुजर रहे पत्रकार विलोक पाठक एवं साथियों की नजर उस पर पड़ी | इन्होने उसे उठाना चाहा परंतु वह गंभीर रूप से घायल हो जाने कारण नहीं उठ सका | लिहाजा पुलिस को सूचना देकर 108 को खबर की गई | प्रत्याशी दर्शियों के अनुसार 108 को सूचना देने के बाद भी लगभग आधे घंटे तक गाड़ी नहीं आई तब तक घायल सड़क पर पड़ा तड़पता रहा | डिलीवरी बॉय के पास से मिले उसके मोबाइल से उसके परिजनों को सूचना दी गई जो की मौके पर पहुंचे |
हेलमेट ने बचाई जान
घायल पड़े जोमैटो डिलीवरी बॉय के सिर में हेलमेट फंसा हुआ था पत्रकार और साथियों ने उसे निकाला। हेलमेट पर पड़े निशान बताते हैं कि यदि हेलमेट ना होता तो सिर की चोट से उसका बचना मुश्किल था। हेलमेट होने के कारण डिलीवरी बॉय की जान बच गई। डिलीवरी बॉय के अनुसार वह स्लिप होकर डिवाइडर से टकरा गया था।
कंपनी ने नहीं लिया संज्ञान
मौके पर उपस्थित लोगों ने जब जोमैटो कंपनी को इस घटना की सूचना दी एवं उनसे कहा गया कि एंबुलेंस की व्यवस्था करें तो वहां से जवाब आया की कंपनी की पॉलिसी देखना पड़ेगी पहले| लिहाजा लोगों ने पुलिस की मदद से घायल को भिजवाया | घायल की पत्नी ने बताया की घटना के 12 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक कंपनी से ना कोई मदद मिली है ना ही किसी ने सम्पर्क किया | इससे यह बात उजागर होती है कि इतने बड़े स्तर पर कंपनी चलाने वाले अपने कर्मचारियों के प्रति कितने लापरवाह हैं | अपनी जान हथेली पर लिए लोगों को सुविधा देने वाले इन डिलीवरी बॉय की जान भगवान भरोसे है |
108 की सुविधा बनी लापरवाही का सबब
अमूमन यह देखा जा रहा है कि दुर्घटना के बाद 108 को संपर्क करने के बाद घटना स्थल पर पहुंचने में बहुत समय लगता है | तब तक गंभीर रूप से घायल कई व्यक्ति दम तोड़ देते हैं | कल रात भी इसी तरह हुआ पहले तो 108 का नंबर काफी देर तक लोगों ने लगाया नहीं लगा इसमें स्वयं पुलिस भी शामिल थी| घायल तक पहुंचने में 108 को आधे घंटे से ऊपर लगा| वह तो देवीय कृपा थी की घायल बच गया परंतु कई जगहों पर ऐसा नहीं होता | जैसे तैसे संपर्क होता भी है तो इतनी लंबी इंक्वारी की जाती है जिसमें बहुत समय बर्बाद होता है तब तक घायल के लिए एक-एक क्षण कीमती होता है ऐसी सुविधा किस काम की |