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समरसता सेवा संगठन द्वारा माता शबरी की जयंती पर विचार गोष्ठि एवं सम्मान समारोह में नाट्य शबरी के मंचन ने किया अभिभूत

♦ Vilok Pathak 

The NI / 51 / जबलपुर। माता शबरी त्याग, तपस्या, सहनशीलता की प्रतिमूर्ति थी, उनकी सच्ची और भावपूर्ण भक्ति का प्रमाण हमे त्रेतायुग में देखने मिलता है जब प्रभु श्रीराम उन्हे स्वयं दर्शन देने उनकी कुटिया पहुंचे और प्रभु श्रीराम ने उस काल में माता शबरी के झूठे बेर खाकर समरसता का अनुपम उदाहरण मानव जाति के लिए प्रस्तुत किया, आज भी श्रीराम और शबरी का प्रसंग समरसता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, यह बात पूज्य संत ज्ञानेश्वरी दीदी ने समरसता सेवा संगठन द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह के अवसर पर एकलव्य आवासीय विद्यालय रामपुर के कही। माता शबरी की जयंती पर समरसता सेवा संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदिवासी शबरी संघ के भैयालाल गोंटियां,  मुख्य वक्ता साध्वी दीदी ज्ञानेश्वरी जी, विशिष्ठ अतिथि सरदार रंजीत सिंह, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन, सचिव उज्जवल पचौरी मंचासीन थे। विचार गोष्ठी एवं सामाजिक जनों के सम्मान के पश्चात नाट्य लोक संस्था द्वारा नाट्य शबरी का अद्भुत नाटक का प्रस्तुतिकरण किया जिसे देखकर सभी अभिभूत हुए। विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने कहा बचपन में ही शबरी के मन में दया, अहिंसा का भाव उत्पन्न हुआ।  शबरी साहस, भक्ति, करुणा, दया का नाम है जिन्होंने अपने कृतित्व से मानव जाति को कई विचार दिए,उनके जीवन काल की घटना हमे सीख देती है कि हम सभी परमात्मा की संताने है और सबके हृदय में भगवान का ही अंश है। उन्हे भगवान श्रीराम ने स्वयं नवधा भक्ति का ज्ञान दिया।

दीदी ज्ञानेश्वरी  ने भगवान श्रीराम के साथ माता शबरी के प्रसंग का बहुत सुंदर वर्णन किया। 
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम  के मुख्य अतिथि शबरी महासंघ के प्रदेश सचिव एवं जिलाध्यक्ष भैयालाल गोंटिया ने कहा आज माता शबरी  की जन्म जयंती पर समरसता सेवा संगठन द्वारा अयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हमारी भावी पीढ़ी के बच्चे उपस्थित है और आज के परिदृश्य में आवश्यक है कि हमारे महापुरुषों और देवियों को आने वाली पीढ़ी के बच्चे जाने। उन्होंने बताया माता शबरी जो प्रभु श्रीराम को अन्नय भक्त थी और बालकाल्य में ही उनके मन में पशु पक्षियों के प्रति करुणा भाव था और इसी करुणा के भाव की वजह से उन्होंने विवाह नही किया क्योंकि इस काल में उस वर्ग में विवाह के अवसर पर पशु बलि की प्रथा थी।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए सरदार रंजीत सिंह ने कहा मैं अपने आप को धन्य मनाया हूं माता शबरी की जन्म जयंती पर मुझे संगठन ने आमंत्रित किया और मुझे बोलने का अवसर मिला।
हमारी संस्कृति में अनेकों महापुरुष हुए है जिन्होंने अपनी वाणी से लोगो को सेवा के लिए प्रेरित किया है। समरसता सेवा संगठन अपने कार्यक्रमो के माध्यम से ऐसे महापुरुषों के विचारो को लोगो तक पहुंचाने का कार्य प्रारंभ किया है यह अनुकरणीय है।
स्वागत उद्बोधन एवं प्रस्तावना संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने रखते हुए संगठन के निर्माण और कार्यक्रमो की जानकारी देते हुए संगठन की ओर से आमंत्रित जनों का स्वागत किया। संगठन वक्ता की ओर से अरूण अग्रवाल ने माता शबरी की जन्म जयंती पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
सम्मान :- कार्यक्रम के दूसरे चरण में समाज क्षेत्र के उत्कृष्ट कार्य करने वाले शंकर लाल गोटिया, डॉ सोमबारू कोल, मंगेश गोंटीया, रोशन लाल कोल, मगन भूमिया, गीता गोंटिया, धनीराम गोंटिया, राजेश गोंटियाँ, दसई राम कोल के साथ ही एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की प्राचार्य गीता साहू, कन्या परिसर की प्राचार्य वनिता घई, नाट्य लोक संस्था के दविंद्र सिंह ग्रोवर का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर नरेश ग्रोवर, आभा दीपक साहू आलोक  पाठक, देवेंद्र श्रीवास्तव, संजय गोस्वामी, संजय नाहतकर, पूनम प्रसाद, सिद्धार्थ शुक्ला, सुरेश पांडे, चंद्रशेखर शर्मा, डॉ विनोद श्रीवास्तव, सचिन बुधौलिया, नीना गुप्ता, रेखा मेहरा, विनीत तिवारी, ब्रह्मणानंद बैरागी, चंद्रकुमार डोंगरे, मनीष साहू, टिकेंद यादव, रेवती नंदन मिश्रा आदि बड़ी संख्या में सामाजिक जन एवं एकलव्य आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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