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कचरे के ढेर में तब्दील हो रही प्राचीन बाबलियाँ

Ancient Babylon is turning into garbage heap

The NI / सिहोरा/ एक ओर जहां जल संरक्षण के अनेकों अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सैकड़ों वर्षों पुरानी बाबली, और तालाबों को संरक्षित करने के बजाय तलाबों और बाबलियों के पास कालोनियों को बसाया जा रहा है। या उनके आस पास कचरे के ढेर लगे नजर आ रहे हैं, आने वाले वर्षों में कहीँ ऐसा न हो कि इन प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व ही खत्म हो जाये।
♦ जल स्रोतों की दुर्दशा
जिसमें सिहोरा तहसील के धनैया तलाब, बाबाताल, मठातलाब, भूतैया तलाब एवं गोसलपुर के रामसागर, बुढानसागर, जुझारी का जलतरंग तो खत्म हो ही रहे हैं जिनमे आवासीय प्लाट काट कर बेचे जा रहे हैं या उनमें खेती की जाने लगी है जिससे बरसात में जमा होने वाला पानी अब कम मात्रा में एकत्र हो रहा है और लगातार जलस्तर गिरता जा रहा है। इसका असर शहर के कुछ इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति पर पड़ रहा है. शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां लोगों को टैंकरों के जरिए पानी मुहैया कराया जा रहा है. वजह भी साफ है कि नगर पालिका की जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन इलाकों में योजनाओं का असर नहीं हुआ।

बाबलियों का जीर्णोद्धार नही हुआ

सिहोरा एवं गोसलपुर में कुल सात बाबलियाँ थी जिनमे कुछ पूरी तरह खत्म हो गई हैं और जो बची हुई हैं उनमें भी मरम्मत और सफाई की जरूरत है लेकिन प्रशासन और लोगों की उदासीनता के कारण ये भी खत्म होने की कगार पर हैं जबकि इनमें गोसलपुर में महाकाली मैदान की बाबली और जुझारी कि बाबली में इस भीषण गर्मी में भी पूरे सीजन पानी है लेकिन देख रेख न होने के अभाव में बाबली के पास गन्दगी बनी रहती है जिससे इनका उपयोग लोग मजबूरी में नही कर पा रहे है। इसी तरह की स्थिति बाबाशाला की बाबली, और नए स्टैंड के पास की बाबली भी उपेक्षा का दंश झेल रही है।

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