देश

मप्र के उपचुनाव में ‘दगाबाजी’ और ‘दलित उपेक्षा’ को मुद्दा बनाने की कोशिश

भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव होने के बाद 24 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस जहां दगाबाजी को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है तो वहीं भाजपा ने दलित उपेक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने के लिए कदमताल तेज कर दी है।
राज्य में आगामी समय में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं, इनमें वे 22 सीटें शामिल है जहां वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, मगर इन विधायकों के इस्तीफो देने और भाजपा में शामिल होने के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।
वहीं, हाल ही में हुए राज्यसभा के तीन सीटों के चुनाव में दो पर भाजपा और एक पर कांग्रेस जीती है। कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया था। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो चुनाव जीत गए मगर बरैया को हार का सामना करना पड़ा। वहीं भाजपा के दो उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को जीत मिली है।
राज्यसभा चुनाव के बाद दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तरह से तैयारियां शुरू कर दी हैं। दोनों ही दलों के नेताओं से लेकर विधानसभा क्षेत्र स्तर के नेताओं की बैठकों का दौर जारी है।
कांग्रेस 22 विधायकों सहित पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया के पार्टी छोड़ने को लेकर बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं और सीधे तौर पर उन पर दगाबाजी का आरोप लगा रही है। पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया का कहना है कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल के लिए जनादेश दिया था मगर राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता लोलुपता के चलते कमलनाथ की सरकार को अल्पमत में लाकर गिरा दिया गया। यह वह लोग हैं जिन्होंने जनादेश की अवहेलना की है और आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में इसके नतीजे उन्हें भोगना पड़ेंगे।
वहीं, भाजपा राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पर दलित उपेक्षा का आरोप लगा रही है। चुनाव प्रबंध समिति के संयोजक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि कांग्रेस लगातार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों की उपेक्षा करती रही है और राज्यसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ है। दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार तो बनाया मगर हराने के लिए, कांग्रेस का वास्तविक चरित्र ही यही है।
यहां आपको बता दें कि जिन 24 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है, इनमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल इलाके से आती हैं और यह ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है। इतना ही नहीं यहां अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है। कई विधानसभा सीटों के नतीजे तो इस वर्ग के मतदाता ही तय करते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने अनजाने में भाजपा के हाथ में एक बड़ा सियासी मुद्दा दे दिया है। कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमले बोलने के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं को बतौर हथियार उपयोग करती आ रही है।
वहीं भाजपा के हाथ में भी दलित उपेक्षा का मुद्दा लग गया है। उपचुनाव रोचक होंगे, दोनों दलों के पास अभी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लिहाजा उनका ज्यादा जोर मुद्दे की तलाश पर है। यही कारण है कि शुरुआती तौर पर दगाबाजी और दलित उपेक्षा जैसे मुद्दा नजर आ रहे हैं। चुनाव के नजदीक आते तक सियासी फि जा के साथ मुद्दे भी बदलते दिखें तो अचरज नहीं होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Close
Close