कांग्रेस का एलान: सामने आया अध्यक्ष का नाम, इनको मिली कमान
नई दिल्ली: कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर मचे घमासान के बीच आज पार्टी की कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक मेंचार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मिलाकर 52 सदस्य शामिल हुए थे। बैठक के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया है कि सोनिया गांधी फिलहाल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान के दोनों पूर्व प्रभारी दीपक बाबरिया-अविनाश पांडे बैठक में मौजूद नहीं थे। हालाँकि राजस्थान के नए प्रभारी महासचिव अजय माकन CWC की बैठक हुए।
सोनिया गांधी ने कहा था कि वो अब आगे पार्टी अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहती हैं
बता दें कि कांग्रेस में नेतृत्व संकट के बीच आज कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक चल रही थी। इस दौरान नेतृत्व के सवाल पर खुलकर बात हुई। बैठक के दौरान पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि वो अब आगे पार्टी अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहती हैं। लेकिन कई नेताओं ने उन्हें पद पर बने रहने की अपील की थी।
नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यह बात सामने आई कि पार्टी में अंदरूनी रार छिड़ गयी है। सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यमक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की और साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद कांग्रेस समिति दो भागों में बंट गई। एक तरफ गांधी परिवार के समर्थन में लोग दिखे तो दूसरी तरफ बागी नेताओं ने भी अपने तेवर सख्त अख्तियार कर खुली चुनौती दे दी है।
सीनियर नेताओं की चिट्ठी के बाद बुलाई गई थी बैठक
बता दें कि CWC की इस बैठक में यह तय करना था कि सोनिया गांधी आगे कांग्रेस का नेतृत्व जारी रखेंगी या नहीं बल्कि गांधी परिवार से ही पार्टी के नेतृत्व के सवाल पर खुली चर्चा हो सकती है।
चिट्ठी की प्रतिक्रिया के तौर पर बुलाई गई CWC की ये बैठक
सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं को बता दिया था कि उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष का 1 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और अब पार्टी के अध्यक्ष पद को छोड़ना चाहती हैं। इसी सिलसिले में CWC की ये बैठक सोनिया गांधी को करीब 2 हफ्ते पहले लिखी गई एक चिट्ठी की प्रतिक्रिया के तौर पर बुलाई गई थी।
बता दें कि कम से कम 23 नेताओं जिनमें CWC के सदस्य, UPA सरकार में मंत्री रहे नेता और सांसदों ने सोनिया गांधी को संगठन के मसले पर चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में सशक्त केंद्रीय नेतृत्व के साथ पार्टी को चलाने की सही रणनीति पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि नेतृत्व ऐसा हो जो सक्रिय हो और जमीन पर काम करता दिखे।