रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर PM मोदी ने जताया दुख, कहा- आखिरी चिट्ठी में बताए कार्य उतरेंगे जमीन पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण करने के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर शोक जताया।
उन्होंने रघुवंश प्रसाद को जमीन से जुड़ा और गरीबी को समझने वाला व्यक्ति बताया। कहा कि बिहार के लिए संघर्ष में पूरा समय बिताने वाले रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एम्स में भर्ती होने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे आखिरी पत्र की बातें को पूरा करने पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर विकास के कार्यों की सूची भी दी थी। बिहार के लोगों और बिहार की चिंता चिट्ठी में थी। मैं नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि अपनी आखिरी चिट्ठी मे उन्होंने जो भावनाएं प्रकट कीं, उसे परिपूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर पूरा प्रयास करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान उनसे अपने संपर्क को भी याद किया। कहा कि भाजपा संगठन में काम करने के दौरान उनसे नजदीक का परिचय रहा। जब वह केंद्रीय मंत्री थे तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर संपर्क में था।
रघुवंश की चिट्ठी में क्या थीं मांगें?
रघुवंश प्रसाद सिंह ने बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार को लेकर कई मांगें कीं थीं। मसलन, 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राज्यपाल विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराएं। इसी प्रकार 26 जनवरी को राज्यपाल पटना में और मुख्यमंत्री वैशाली गढ़ के मैदान में राष्ट्रध्वज फहराएं। उन्होंने मुख्यमंत्री को 26 जनवरी, 2021 को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने की मांग की थी।
रघुवंश ने सीएम नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी में एक और मांग करते हुए कहा था, मनरेगा कानून में सरकारी और एससी-एसटी की जमीन में काम का प्रबंध है, उस खंड में आम किसानों की जमीन में भी काम होगा, जोड़ दिया जाए। इस आशय का अध्यादेश तुरंत लागू कर आने वाले आचार संहिता से बचा जाए।
रघुवंश प्रसाद ने भगवान बुद्ध के पवित्र भिक्षापात्र को अफगानिस्तान के काबुल से वैशाली लाने की भी मांग की थी। वहीं उन्होंने वैशाली के सभी तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया था। गांधी सेतु पर गेट बनाने और उसपर ‘विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली’ लिखने का आग्रह किया था।