Jabalpurटॉप न्यूज़मध्यप्रदेशसंपादक की कलम से

53 दिन से केवल नर्मदा जल पर अनशन कर रहे सन्त के स्वास्थ्य में गिरावट…

प्रकृति के साथ लोकतंत्र बचाने की कवायद...

✍️ विलोक पाठक

◆ जबलपुर मां नर्मदा को बचाने के लिए और प्रकृति संरक्षण के लिए अनशन पर बैठे समर्थ मिशन के संत श्री भैया जी सरकार की हालत दिनोदिन गिरना शुरू हो गई है । उल्लेखनीय है की इन सन्त ने 55 दिनों से केवल नर्मदा जल पर अनशन शुरू किया है । आपको बता दें की नर्मदा के किनारे लगातार अवैध उत्खनन और निर्माण को लेकर उसके अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है इसको लेकर कोर्ट में मामला भी जा चुका है, एवं न्यायालय ने सख्त आदेश में नर्मदा को बचाने के लिए उसके राईपेरियन जोन में निर्माण और उत्खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है । परंतु विगत कुछ समय से राजनैतिक शह पर कोर्ट के उस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं , या यूं कहें न्यायालय की खुलेआम अवमानना हो रही है । प्रदेश सरकार को अंधेरे में रख कथित संगठित लोग अपने वजूद की खातिर कोर्ट की अवमानना कर सरकार का मुंह काला कराने की फिराक में है ।

◆ नर्मदा भक्त हैं मुख्यमंत्री

ये अकाटय सत्य है कि नर्मदा कलश यात्रा निकाल चुके सूबे के मुखिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मां नर्मदा के परम भक्त हैं , और  शायद  स्थानीय स्तर पर चल रहे सरकार विरोधी इस षडयंत्र की जानकारी भी उन्हें ना हो ।  क्योंकि  कोई भी सरकार  नहीं चाहती कि न्यायपालिका की अवमानना हो । परंतु  सूत्रों के अनुसार अपनी हार की खीझ निकालने के लिए शायद कथित लोग सरकार विरोधी कृत्य कर रहे हैं ।उनके ऐसा करने से सत्ताधारी दल की साख खराब होने के साथ उसमें असंतोष के भी स्वर आंतरिक तौर पर उठने लगे हैं , इसका मूल कारण है मां नर्मदा के प्रति लोगों का समर्पण ।

आखिर कैसे हो रही हाइकोर्ट के आदेश की अवमानना

इसके साथ ही एक बात और है कि राजनीतिक रसूख की बेडिया प्रशासन के पैर में जकड़ी हुई है, इन्ही बेड़ीयों ने न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर रखा है । हालांकि सूचना पर प्रशासनिक कारवाई होती है, परन्तु ये बात हजम नहीं होती कि कारवाई के बाद भी आखिर पुनः न्यायालय की अवमानना करने की जुर्रत लोग कैसे कर रहे हैं ।

आखिर न्यायपालिका से अपने को बड़ा समझने वाले ये लोग जिनमें संगठित लोग शामिल हैं , न्यायालय की अवमानना कर क्या लोकतंत्र की हत्या नहीं कर रहे । न्यायालय के किसी भी आदेश का पालन कराने की जवाबदारी सभी जिम्मेदार लोगों की है ।

सारगर्भित बात

बहरहाल प्रदेश सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर न्यायालय के सम्मान को बरकरार रखने हेतु आवश्यक कदम उठाना चाहिए जिससे उसकी छबि को खराब करने का सपना देख रहे षडयंत्रकारी लोगों के मंसूबे ध्वस्त हों । और माँ नर्मदा के शुद्धिकरण के साथ उनके अस्तित्व की रक्षा हेतु उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश का अक्षरशः पालन हो सके ।

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