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45 मोरों की मौत पर कार्रवाई न करने को लेकर… कलेक्टर सहित कईयों को नोटिस जारी

एनजीटी के आदेशों की अवहेलना....

◆ 45 मोरों की मौत, लेकिन कोई कार्यवाही नही ।

◆ एनजीटी के आदेशों की अनदेखी ।

◆ सिगल नोटीस भेजा

 

मुरेना जिले में 45 मोरों की मौत होने के बावजूर भी अभीतक न तो दोषीयों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हुए। न ही मोरों को संरक्षण हेतु कोई योजना बनाई गई है, जबकी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु सख्त निर्देश बारंबार जारी किये है। यह निगल नोटीस डॉ. पी. जी. नाजपांडे तथा रजत भागव की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव, वन्य प्राणी वार्डन ,कलेक्टर तथा डीएफओ मुरेना को भेजा गया है।

नोटीस में बताया है की वर्ष 1963 में मोर को राष्ट्रीय धन घोषित कर उसे वन्यप्राणि संरक्षण कानून 1972 के तहत संरक्षण दिया गया है सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का यह प्राणी इको सिस्टम का अंश है। मोरों की संख्या दिनों दिन घट रही है, क्योंकी पंख तथा तेल के लिये उन्हें मारा जा रहा है। मोर पंखों के निर्यात पर प्रतिबंध है, लेकिन इसकी अनदेखी हो रही है।

पर्यावरण विद एङ प्रभात यादव ने नोटिस में बताया  की एनजीटी ने मध्यप्रदेश में वन्य प्राणीयों की मौत नहीं हो इस पर तत्काल उपाय करने के निर्देश मुख्य वन्य प्राणि वार्डन को जारी किये है । लेकिन प्रदेश में इस हेतु न तो एक्स्पर्ट कमेटी बनी और न ही मानिटरिंग कमेटी अभी तक बनाई गई है। प्रदेश में जैविक विविधता खतरे में है, फिर भी इस कानून के तहत समितियों का गठन अभी तक नहीं किया गया है। नतिजन राष्ट्रीय पक्षी होने के बावजूद भी संकटमय पक्षी के श्रेणी में मोर पहुंच गया है।

बहर हाल जो भी हो परंतु जिस तरीके से एनजीटी के आदेशों की अवहेलना सरकार और संबंधित विभाग कर रहे हैं, इससे साबित होता है कि कानून के दायरे को सरकारी अमला हल्के में ले रहा है । क्योंकि एक बात आसानी से गले नहीं उतर रही की कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उसका पालन नहीं हुआ । दोनों में से कोई एक बात सत्य अवश्य है की या तो अधिकारियों ने जानबूझकर लापरवाही की है या उनके लिए कानून के आदेशों का पालन महत्त्व नहीं रखता ।

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