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ऑकुलता और बेचैनी के बिना प्राप्त सुख ही सच्चा सुख : आचार्य श्री विद्यासागर

जबलपुर / दयोदय तीर्थ गौशाला मे विराजमान राष्ट्रसंत आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज ने कहा सुख का अनुभव यदि ऑकुलता – बेचैनी परेशानी के बिना होता है तो यह सच्चा सुख है ।
संसार के हर दिशा में ऑकुलता बेचैनी दिखती है, दो प्रकार की ऑकुलता होती है एक जो हमारे कर्मों से हमें पल पल महसूस होती है जिससे बचने के लिए आप सभी साधन सामग्री जुटा लेते हैं, मांग लेते हैं, छीना झपटी करते हैं , पा लेते हैं और हर तरह के उपयोग करना चाहते हैं फिर भी ऑकुलता – बेचैनी परेशानी नहीं मिटती अब कुछ लोगों को अच्छे कर्मों से जिन्हें साता कर्म के उदय कहा जाता है सभी सामग्रियों की उपलब्धता रहती है फिर भी उनकी ऑकुलता – बेचैनी परेशानी बनी रहती है जिसके पास ज्यादा वैभव है उसकी ऑकुलता – बेचैनी परेशानी तो और भी बड़ी है उसे ही सेठ साहूकार माना जाता है। आपको यदि आप आकुलता बेचैनी मिटानी है तो सेठ साहूकार जिसे आप मान रहे हैं उसे दान पुण्य करना चाहिए। ऑकुलता – बेचैनी परेशानी हर तरह की होती है इस साल विशेष गर्मी पड़ी तब गर्मी की ऑकुलता थी अब बारिश आ गई , आकुलता बढ़ने लगी बारिश के कारण, छत्ता लगाए हैं फिर भी भीग गए जिसे छत्ता मिला उसे ऑकुलता – बेचैनी परेशानी है ,जिसे छत्ता नहीं मिला वह भी परेशान है ।
हमें ना तो सर्दी लगती है ना गर्मी ना बारिश कोई ऑकुलता नहीं होती , राजा ,राणा, छत्रपति सभी को इस दुनिया से जाना है सोच लो यह ऑकुलता – बेचैनी परेशानी क्या बला है ।
सही पूछा जाए तो यह हमारे पीछे लगी रहती है या हम ने ऑकुलता – बेचैनी परेशानी लगाई रखी है इस रहस्य को कोई आज तक नहीं जानता ।
इन ऑकुलता – बेचैनी, परेशानियों के बीच रहकर भी अनाकुलता का अनुभव कर रहा है वही सुखी है ।
संतो के लिए भी नियम बताए गए हैं आप इस रहस्य को समझो और ऑकुलता परेशानियों के बीच रहते हुए अनाकुल शांति का अनुभव करो यही सुखी जीवन है।
आचार्य श्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सी ए अखिलेश जैन एवं उषा दीदी पिसनहारी की मढीया एवं आहार चर्या का सौभाग्य प्रतिभास्थली की बहनों को प्राप्त हुआ

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