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बोरवेल में 13 फीट नीचे फंसी बच्ची दिव्यांशी ने जीती मौत से जंग….प्रशासन एवम सेना सहित पूरी रेस्क्यू टीम को सैल्यूट ।

बोरवेल में 13 फीट नीचे फंसी बच्ची साढ़े 10 घंटे बाद बाहर आई, भीड़ ने लगाए जिंदाबाद के नारे…
◆ डेढ़ साल की मासूम का रेस्क्यू सफल…

✍️ विलोक पाठक

मध्यप्रदेश के छतरपुर में गुरुवार दोपहर दौनी नौगांव में 15 महीने की दिव्यांशी कुशवाहा खुद के खेत पर खुले पड़े बोरवेल में गिर गई थी। वह मां रामसखी और अपनी दो बड़ी बहनों के साथ खेत पर गई थी। मां खेत में पानी लगाने गई और तीनों बच्चे मस्ती में लग गए। खेलते-खेलते करीब साढ़े 3 बजे वह हादसे का शिकार हो गई। मासूम को बोरवेल में गिरता देख बड़ी बहन ने शोर मचाया। मां चीख सुनकर दौड़ी और फिर लोगों को जानकारी दी।
इस 80 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 15 महीने की दिव्यांशी को आखिरकार साढ़े 9 घंटे बाद सुरक्षित निकाल लिया गया। बोरवेल में 13 फीट नीचे फंसी दिव्यांशी को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन दोपहर साढ़े 3 बजे से शुरू हुआ, जो रात करीब 12:47 बजे तक चला। दिव्यांशी को निकालने के लिए पुलिस, एसडीआईआरफ के साथ ही सेना के जवान बिना थके बोरवेल के पास की मिट्‌टी को हटाने में जुटे रहे। आखिरकार मेहनत रंग लाई और बोरवेल के अंधेरे गड्‌ढे से दिव्य चमत्कार स्वरूप दिव्यांशी बाहर निकलकर चहक उठी। भगवान स्वरूप रेस्क्यू टीम की मेहनत सफल देख वहां मौजूद भीड़ चिल्लाई- दिव्यांशी तुम जीत गई। वहीं मां की आंखों से खुशी के आसूं छलक आए।
गजब की प्रशासनिक सक्रियता….
बच्ची के बोरवेल में गिरने की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने रेस्क्यू शुरू कर दिया। कलेक्टर और एसपी समेत तमाम अफसर मौके पर पहुंच गए। एसडीईआरएफ के साथ ही सेना की मदद ली गई और रेस्क्यू ऑपरेशन को सक्सेसफुल बनाया गया।
रेस्क्यू को गति देने और बोरवेल में फंसी बच्ची दिव्यांशी को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन ने SDERF (स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रेस्पॉन्स फोर्स) के दल को ग्वालियर से बुलाया। नौंगाव छावनी में संदेश भिजवाकर आर्मी से मदद ली गई। साथ ही होमगार्ड छतरपुर की टीम भी घटना स्थल पर पहुंची। रेस्क्यू टीम ने सबसे पहले बोरवेल से करीब 10 फीट की दूरी पर उसी के समानांतर गड्ढा खोदना शुरू किया। यह काम शाम साढ़े 7 बजे तक चला। टीम ने करीब 18 फीट गहरा गड्ढा खोदा। इसके बाद बच्ची के पास जाने के लिए सुरंग खाेदने का काम शुरू हुआ। बच्ची सुरक्षित रहे इसके लिए करीब 4 फीट तक तो पहले ड्रिल मशीन के जरिए खुदाई की गई। इसके बाद मिट्‌टी धंसने के डर से कुदाल और हाथ से मिट्टी को हटाने का काम शुरू किया गया। जो रात करीब 9 बजे तक चला।
रेस्क्यू टीम को दोबारा करनी पड़ी खुदाई…
रात साढ़े 9 बजे टीम को लगा कि टनल की दिशा गलत हो रही। इसके चलते टीम ने फिर से सही दिशा में खुदाई शुरू की। रात करीब 12:47 बजे तक टीम बच्ची के पास पहुंच गई और उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
हादसे की जानकारी मिलते ही मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे ।
ऑक्सीजन देने के साथ कैमरे से नज़र रखी…
बच्ची को सुरक्षित रखने के लिए लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई जारी रखी गई। इसके अलावा मां से बात करवाने के साथ ही उस पर कैमरे से नजर भी रखी जा रही थी।
माँ से बात करती रही…
रेस्क्यू के दौरान माँ ने दिव्यांशी से बात की। उसने कहा- दिव्यांशी तू अच्छी है ना तो उसने कहा- मम्मी आ जाओ। बच्ची के हौसले को बढ़ाने माँ उपस्थित रही।
रामसखी और राजेंद्र कुशवाहा की तीन बेटियां हैं। दिव्यांशी अपनी बहनों में सबसे छोटी है। सबसे बड़ी बेटी माया कुशवाहा(6), दूसरी बेटी​​​​​ 3 साल की नैनसी कुशवाहा है।

एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस बुलाई….
छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा – रेस्क्यू ऑपरेशन सफल रहा। बच्ची को हमने सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। मौके पर मौजूद एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस से बच्ची का चेकअप करवाकर अस्पताल भिजवाया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पूरे समय एसडीएम विनय द्विवेदी, तहसीलदार सुनीता सहानी, एसडीओपी कमल कुमार जैन, नौगांव थाना प्रभारी दीपक यादव समेत भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद रहे ..
पिछली घटनाओं से सबक नहीं….
देश में पिछले दिनों बोरवेल में बच्चे गिरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं । उन घटनाओं से शायद सबक नहीं सीखा। पूर्व की घटनाओं में कई बार बच्चे अपनी जान भी गवां चुके हैं. उसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर खुले बोरवेल वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाइयाँ नहीं हुई । जबकि सरकार के स्पष्ट आदेश हैं की एक भी बोरवेल खुला ना रखा जाए । बहरहाल यह बात अवश्य समझ जाना चाहिए की जरूरी नहीं हर दिव्यांशी भाग्यशाली हो….

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