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सुचना का अधिकार कानून सरकार की योजनाओं पर निगरानी रखने का बेहतर जरिया : सूचना आयुक्त

जबलपुर वीर सावरकर का सिद्वांत राष्ट्रवाद का है। वे मुख्यत: मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के विरोधी थें उनके राष्ट्रवाद में सभी धर्मो जाति को समान रूप से अधिकार है। 1952 में ही वीर सावरकर ने चीन को सैन्य बल में बाहुत आगे निकलने की बात कहीं थी। उन्होंने बता दिया था कि चीन की आगे चलकर जमीन हड़पने की कोशिश होगी।उनके मुताबिक सावरकर कहते थे दो देश स्थाई रूप से न दोस्त रह सकते हैं न ही दुश्मन। यह बात अपनी पुस्तक वीर सावरकर पर व्याख्यान देने जबलपुर आए केंद्र सरकार में सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद मुसलमान भारत से जुड़े है। प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने भी वीर सावरकर को सम्मान दिया है। 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में प्रधानमंत्री पंड़ित नेहरू ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आमंत्रित किया था क्योंकि 1962 के युद्ध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका देखकर नेहरू प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि बिना आर्मी सैन्य क्षमता बढ़ाए भारत विश्व गुरू नहीं बन सकता है। व्यापक जनहित में सूचना के अधिकार कानून का उपयोग होना आवश्यक है। इसमें ऊर्जा क्षेत्र पर खास नजर होना चाहिए। यहां बड़े स्तर का भ्रष्टाचार है इसका खामियाजा बिजली की प्रति यूनिट पर होता है जो हर वर्ग को प्रभावित करता है। उल्लेखनीय है की सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने बीते 15 साल की तुलना में महज एक साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा सूचना के अधिकार से जुड़े मामलों का निपटारा किया है। करीब पांच हजार मामलों का निपटारा उनकी टीम के द्वारा किया गया। इस संबंध में उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार कानून में लोग निजी हित को लेकर ज्यादा मामले लगाते हैं। इसमें जनहित के प्रकरण कम होते हैं। इसमें सुधार की जरूरत है।लोगों को कानून के बारे में जागरूक करना होगा। गुजरात में आरटीआइ का प्रशिक्षण देने का काम कुछ संस्था करती है। ये कानून सरकार की योजनाओं पर निगरानी रखने का बेहतर जरिया है।

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