
1.चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष, कर्क, वृश्चिक अथवा मकर राशि में हो और उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं हो तो निवारण होता है। 2.मंगल राहु की युति होने से मंगल दोष का निवारण हो जाता है। 3.लग्न स्थान में बुध व शुक्र की युति होने से इस दोष का परिहार हो जाता है। 4. ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कर्क और सिंह लग्न में लगनस्थ मंगल अगर केन्द्र व त्रिकोण का स्वामी हो तो यह राजयोग बनाता है जिससे मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। 5.वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है। 6.जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि नवांश का, वर्गोत्तम, षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा..।।