वाहन चेकिंग के दौरान दर्द से कराहती गर्भवती को रोकने का आरोप….

जबलपुर / सूबे के मुखिया प्रदेश में जननी सुरक्षा को लेकर कई बड़ी योजना चला रहे हैं । और उनका यह प्रयास है कि प्रदेश में किसी भी जननी को गर्भावस्था के दौरान परेशानी ना हो पाए । परंतु जितने वह संवेदनशील हैं उतनी ही असंवेदनशीलता का परिचय उनकी नौकरशाही दे रही है । इसका साक्षात उदाहरण आज सुबह 11:00 बजे मेडिकल के पास देखने को मिला जहां एक मरीज के परिजनों ने आरोप लगाते हुए बताया कि वे रायसेन उदयपुरा से गर्भवती महिला को लेकर आ रहे थे , वाहन चेकिंग के दौरान रास्ते मे यातायात कर्मी ने रोक लिया । ड्राइवर ने संपूर्ण दस्तावेज दिखा दिए कागजात पूरे थे परंतु सिर्फ प्रदूषण का सर्टिफिकेट की डेट 3 दिन पूर्व समाप्त हो गई थी , जिसके लिए ₹1000 मांगे गए परिजनों केनिवेदन किये जाने पर कि हमारे पास इतने रुपए नहीं है , वह नहीं माने और कहने लगे की शाम 5:00 बजे तक बैठो । वहीं परिजनों ने जब बताया की साथ में गर्भवती पेशेंट है तो भी उनका दिल नहीं पसीजा और ना ही संवेदना जगी । इसी बीच परिजनों ने शहर में अपने रिश्तेदार को फोन लगाया रिश्तेदार ने जब बात करना चाही तो बजाय बात करने के उनसे भी क्लिष्ट भाषा शैली में जबाब दिया गया । लिहाजा रिश्तेदार ने कई जगहों से फोन कराएं तब जाकर कुछ चलानी रकम लेकर वाहन को छोड़ा । परंतु इस सब प्रक्रिया में पूरे 35 से 40 मिनट गर्भवती दर्द से परेशान होती रही । इस समयावधि में यदि गर्भवती महिला को कुछ हो जाता तो ईसका जवाबदार कौन होता ।
विभाग में जहां एक और पुलिस कप्तान बेहद संवेदनशील है इसका उदाहरण पिछले दिनों देखने मिला कि केवल एक मैसेज पर मासूम बच्चों के लिए मदद में ततपरता दिखाई थी । वहीं दूसरी ओर असंवेदनशील स्टाफ समंझ से परे है । विभाग को कप्तान से शिक्षा लेना चाहिए ।
वहीं परिजनों और ड्राइवर का आरोप है कि उससे संपूर्ण दस्तावेज भी यातायात कर्मी ने रख लिए । उक्त कर्मी का नाम विनीत चौकसे बताया जा रहा है ।
बहरहाल महिला तो इलाज के लिए अस्पताल रवाना हो गई….. परन्तु परिजनों के इस आरोप और घटना ने तमाम सवाल पैदा कर दिए जो शायद सूबे के मुखिया तक पहुंचे ।