जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से विकलांग को मिला न्याय : 24 लाख 50 हजार का अवार्ड हुआ पारित
HDFC और आदित्य बिड़ला इंश्योरेंस कंपनी ने रिजेक्ट किये थे क्लेम
जबलपुर पीड़ितों को न्याय सुलभ हो इसका प्रयास हमेशा विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है या यूं कहें समाज का कोई भी वर्ग न्याय से वंचित ना रहे इसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भरपूर प्रयास करता है । इसी कड़ी में आज जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री मुहम्मद जीलानी ने जानकारी बताते हुए कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत श्री विकास ताम्रकार पिता श्री राजीव ताम्रकार के द्वारा 02 हेल्थ इंष्योरेंस कंपनी क्रमषः आदित्य बिड़ला एवं एच.डी.एफ.सी कंपनी के विरूद्ध बीमा प्राप्त करने हेतु दावा प्रस्तुत किया था, जिसमें लोकोपयोगी की लोक अदालत द्वारा आवेदक श्री विकास ताम्रकार को एचडीएचफी कंपनी से रूपये 10 लाख 74 हजार एवं आदित्य बिड़ला कंपनी के विरूद्ध रूपये 13 लाख 75 हजार की बीमा धनराषि उक्त बीमा कंपनी द्वारा आवेदक को दिलाये जाने का आदेष पारित किया है।
उक्त खण्डपीठ में लोकोपयोगी सेवाओं की लोक अदालत के अध्यक्ष जिला न्यायाधीष श्री उमाषंकर अग्रवाल, मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी श्री रत्नेष कुरारिया एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी श्री गोपाल गुप्ता के द्वारा उक्त अवार्ड पारित किया गया।
श्री विकास ताम्रकार के द्वारा यह बताया गया कि उसने उपरोक्त दोनों बीमा कंपनियों से दुर्घटना बीमा करवाया था, बीमा अवधि के दौरान वह अपनी छत से गिर गया था जिससे दुर्घटना में उसके पैर में चोट आयी, इलाज के दौरान उसका पैर काटना पड़ा और वह स्थायी रूप से विकलांग हो गया जब उसके द्वारा उक्त दोनों ही बीमा कंपनियों से बीमा राषि की मांग की गयी तो दोनों ही बीमा कंपनी द्वारा उससे यह कहा गया कि तुम्हारे पैर में पूर्व से ही डीप वेन थ्रोम्बोसिस की बीमारी थी जो कि पाॅलिसी के समय छुपायी गयी इस कारण उक्त आधारों पर उसका दावा निरस्त किया गया।
आवेदक का यह कहना है कि उसे जानकारी प्राप्त होने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर में सम्पर्क किया तथा सलाह मिलने पर उसने उक्त प्राधिकरण के समक्ष लोकोपयोगी सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत के समक्ष स्वयं आवेदन पत्र समस्त इलाज एवं बीमा पाॅलिसी के दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया। अनावेदक के उपस्थित होने पर सुलह चर्चा की गयी किंतु बीमा कंपनी के द्वारा आवेदक का दावा मानने से इंकार किया जिसके उपरांत उभयपक्षों के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर लोक अदालत के द्वारा उसका आवेदन पत्र स्वीकार किया गया जिसके फलस्वरूप उसे बीमाधन दिलवाया गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री उमाषंकर अग्रवाल के द्वारा लोकोपयोगी सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत के संबंध में यह जानकारी दी गयी कि जो सेवायें किसी संस्था के द्वारा आम नागरिकों को प्रदान की जाती है उनके संबंध में कोई विवाद होता है तो उसका निराकरण उक्त लोक अदालत में किया जाता है। प्रमुख रूप से वायु, जल एवं सड़क मार्ग से यात्रियों अथवा माल के परिवहन/ट्रांसपोर्ट सेवा, टेलीफोन एवं पोस्टल सेवा , विद्युत एवं जल आपूर्ति सेवा सार्वजनिक संरक्षण या स्वच्छता की प्रणाली , अस्पताल या डिस्पेंसरी सेवा , बीमा सेवा, आवासी और संपदा या बैंकिंग एवं वित सेवायें उक्त लोकोपयोगी स्थायी लोक अदालत के अंतर्गत निराकरण योग्य है। उक्त लोक अदालत के आदेष या अवार्ड की कोई अपील नहीं होती किंतु परिवेदित पक्ष माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर सकता है। उक्त आदालत में आवेदन प्रस्तुति हेतु न तो न्याय शुल्क लगता है और न ही कोई शुल्क देना पड़ता है। आवेदक स्वयं आकर भी अपना मामला प्रस्तुत कर सकता है।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा आम नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे उक्त स्थायी लोक अदालत के समक्ष अपने मामलों को प्रस्तुत करे जिससे उन्हें सस्ता एवं सुलभ न्याय प्राप्त हो सके।