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यह पटाक्षेप तो होना ही था……..

✍️ चैतन्य भट्ट

भारतीय जनता पार्टी की राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मिकी जो अनुसूचित जाति से आती हैं के जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा किए जा रहे अपमान और उपेक्षा का जिक्र जिस गति से प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में हुआ था उसका पटाक्षेप जिस तरह से हुआ वह पहले से ही मालूम था यह भी अंदेशा था कि भोपाल से इस मसले पर सुमित्रा बाल्मीकि जी को निर्देश दिए जाएंगे और मामले का पटाक्षेप करने की सलाह दी जाएगी

उल्लेखनीय है कि राज सभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि ने योग दिवस पर हुए अपने अपमान और जिला कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा उनके प्रति लगातार बढ़ती जा रही उपेक्षा को लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काफी मुखर होकर बयान दिए थे उनका स्पष्ट आरोप था कि उनके द्वारा प्रशासन को यह बताने के बावजूद कि वे जबलपुर के कार्यक्रम में शामिल होंगी उनके लिए कुर्सी नहीं लगाई गई, इतना ही नहीं जो आमंत्रण पत्र छापा गया था उसमें भी सांसद राकेश सिंह का नाम तो था लेकिन उनका नाम नहीं था

सुमित्रा बाल्मीकि ने स्पष्ट आरोप लगाया था कि जब वे कलेक्टर से मिलने गई थी तब उन्हें काफी देर तक बाहर बैठाया गया इसके अलावा जब कभी कोई वीआईपी हवाई अड्डे पर आता है तो वे तमाम दूसरे नेताओं को तो गुलदस्ता दे देते हैं लेकिन उन्हें गुलदस्ता भी मुहैया नहीं कराया जाता उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि उनकी गाड़ी को उनसे उनसे कनिष्ठ नेताओं की गाड़ी के पीछे रखा जाता है अपनी पीड़ा बताते हुए सुमित्रा बाल्मीकि ने कहा था कि कलेक्टर का यह रवैया लगातार चल रहा है और वे चूंकिअनुसूचित जाति की महिला है इसलिए कलेक्टर जानबूझकर उनके साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं
बाल्मीकि का यह बयान पूरे प्रदेश के इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ था लेकिन यह विडंबना थी कि उनकी ही पार्टी के किसी नेता ने इस संबंध में उनके पक्ष में कोई बयान जारी नहीं किया इधर जब वाल्मीकि समाज ने जिला कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का पुतला जलाने की घोषणा की तो भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने घटनास्थल पर पहुंचकर बाल्मीकि समाज के लोगों से पुतला दहन ना करने की अपील की इससे यह साबित होता है कि उन्हें भी ऊपर से इस बात के निर्देश दिए गए होंगे कि वे जाकर कलेक्टर सुमित्रा बाल्मीकि के बीच समझौता कराएं और पुतला दहन को रोकने का प्रयास करें यह बात अलग है कि उनके इस प्रयास के बावजूद कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का पुतला जला दिया गया जो शायद जबलपुर के इतिहास में पहला मौका होगा जब किसी प्रशासनिक अधिकारी का पुतला किसी समाज ने जलाया हो । राजनीतिज्ञों का पुतला जलाना तो राजनीति में आम बात है लेकिन कलेक्टर का पुतला जलाना यह अपने आप में एक नया मौका सामने आया है
प्रतिष्ठित अखबार नई दुनिया में आज सुमित्रा बाल्मीकि का एक बयान छपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि वे सारे गिले-शिकवे भूल चुकी हैं और वे तथा कलेक्टर मिलकर अपना अपना काम करेंगे सुमित्रा बाल्मीकि द्वारा दिए गए इस बयान को लेकर पूरे शहर में तरह-तरह की चर्चाएं हैं कि पूरी भारतीय जनता पार्टी सुमित्रा बाल्मीकि की बजाए कलेक्टर के साथ खड़ी दिखाई दे रही है यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें ऊपर से इस बात का निर्देश दिया गया होगा कि वे इस मामले का पटाक्षेप कर दे यही कारण है कि उनका इस तरह का बयान एक दिन के बाद ही आ गया जबकि वे एक दिन पूर्व कलेक्टर के खिलाफ काफी मुखर थी
यह पहला मौका नहीं है जब किसी प्रशासनिक अधिकारी के पक्ष में ऊपर से आदेश आया है जब प्रभात साहू जबलपुर में महापौर थे तब संभागीय आयुक्त प्रभात पाराशर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की बात नगर निगम में की जा रही थी जिसकी घोषणा भी तत्कालीन महापौर प्रभात साहू ने की थी लेकिन ऊपर से उन्हें निर्देश दिए गए और यह निंदा प्रस्ताव नहीं लाया जा सका । एक और उदाहरण नगर निगम का ही है जब नगर निगम के एमआईसी मेंबर ने तत्कालीन आयुक्त वेद प्रकाश की शिकायत की और उनके खिलाफ बयान देने की कोशिश तब उन्हें ऊपर से चेताया गया कि आपको यह सब करने की आवश्यकता नहीं है । शहर में इस बात की चर्चा है कि क्या भारतीय जनता पार्टी अपने नेताओं की तुलना में अफसरों को ज्यादा महत्व देती है यदि राज सभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि का अपमान और उपेक्षा हुई थी तो प्रशासनिक अधिकारी पर कोई कार्यवाही ना कर उन पर ही मामले को सुलझाना बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भी अजीब सा लगता है अनेक कार्यकर्ताओं ने दबे स्वर में कहा कि जब पार्टी की राज्यसभा सांसद के साथ ये हो सकता है तो आम कार्यकर्ता की क्या हैसियत है कि वो किसी अधिकारी के खिलाफ आवाज उठा सके । बहरहाल मामले का पटाक्षेप लगभग हो गया है अब देखना यह है कि शासन इस मसले पर आगे क्या कार्यवाही करता है

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