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हैवानियत से बची मासूम को गोद मे लिए परिजन लगाते रहे गुहार..जनाक्रोश बढ़ने से घण्टो बाद हुई FIR और मुलाहजा
News Investigation / Vilok Pathak
The NI /51 सरकार महिला सम्बंधित अपराधों को लेकर वेहद संवेदनशील है इसके लिए ऊर्जा डेस्क से लेकर कई सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। परन्तु उनका धरातली सत्य क्या है ये बता रही है एक 4 साल की मासूम के साथ घटी घटना जिसमें जबलपुर के घमापुर थाना क्षेत्र में 3 साल की बच्ची से रेप का प्रयास किया गया। शाम 7 बजे से रात 11:30 बजे तक हंगामा चला। खाकी की असंवेदनशीलता का इसी से पता चलता है कि शाम 7 बजे से आई पीड़ित बच्ची को मीडिया जनप्रतिनिधि और भीड़ के दबाब में रात 11:30 पर अस्पताल भेजा। बच्ची की मां का आरोप है कि थाना प्रभारी ने उनसे कहा कि ऐसा केस करा दो कि आरोपी ने तुम्हारा हाथ पकड़ा है।
परिवार का आरोप है कि वे शिकायत करने घमापुर थाने पहुंचे तो पुलिस ने यह कहते हुए रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया कि इससे बदनामी होगी। घटना के सम्बंध में बताया जा रहा है कि पड़ोस में रहने वाला कल्लू बच्ची को बहला कर अपने घर ले गया । अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। बच्ची को ढूंढ़ते परिजन जब वहां पहुंचे और दरबाजा खटखटाया उन्होंने शोर मचाया तो वह भाग निकला। मां का कहना है कि बच्ची के शरीर पर कपड़े नहीं थे।
पीड़ित बच्ची को गोद मे लेकर उसकी मां 4 घंटे तक थाने के बाहर बैठी रही। भीड़ बढ़ने पर रांझी, ओमती, हनुमानताल, बेलबाग
थाने का स्टाफ मौके पर पहुंच गया। CSP रांझी विवेक गौतम और पंकज मिश्रा भी थाने पहुंच गए। बच्ची की मां को थाने से बाहर करने की जानकारी जब मोहल्ले के लोगों को मिली तो वहां भीड़ जुट गई। पुलिस और भीड़ के बीच नोकझोंक हुई। लोग थाना प्रभारी को निलंबित करने की मांग पर अड़े थे।
स्थानीय विधायक व पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया भी मौके पर पहुंच गए। विधायक का कहना है कि पुलिस बच्ची की मां को बयान बदलने के लिए मजबूर कर रही थी। यह कहीं से भी ठीक नहीं है। यह पुलिस की संवेदनहीनता है।
बहरहाल पुलिस के आला अधिकारी दोषियों पर कारवाई करने के बजाय मीडिया से बचते नजर आये। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समर वर्मा ने कुछ भी कहने से मना कर दिया । उनके अधीनस्थों की लापरवाही ने खाकी सहित सरकार का सर भी शर्म से झुका दिया ।