रजिस्ट्री होने के बाद बिना आवेदन दिये होगा नामान्तरण पेशी पर भी नहीं जाना होगा तहसील कार्यालय
व्हाटसएप या ईमेल पर मिलेगी नामांतरण आदेश की सत्यापित प्रति भू-अभिलेखों में भी तुरंत होगा सुधार
The NI/51/ प्रदेश के सभी जिलों में साइबर तहसील परियोजना लागू हो जाने से अब रजिस्ट्री के बाद भूमि के
नामान्तरण के लिये क्रेता और विक्रेता को न तो तहसील कार्यालय में जाकर आवेदन करने की जरूरत होगी
और न हीं उन्हें पेशी पर उपस्थित होना पड़ेगा। विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) के निष्पादन के तुरंत रजिस्ट्रार कार्यालय
से स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से नामान्तरण का प्रकरण दर्ज करने के लिये आरसीएम एस पोर्टल पर
साइबर तहसील को भेज दिया जायेगा और आपत्ति प्राप्त नहीं होने की स्थिति में तहसीलदार द्वारा तय समय
सीमा के भीतर नामान्तरण आदेश भी पारित कर दिया जायेगा।
साइबर तहसील के तहत नामांतरण की संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शी और पेपरलेस होगी। इस नवीन प्रणाली से
क्षेत्राधिकार की सीमायें भी समाप्त हो जायेंगी। एसएमएस के माध्यम से नोटिस क्रेता-विक्रेता तथा ग्राम के
सभी निवासियों को प्राप्त होगा। दावे और आपत्ति पक्षकारों द्वारा ऑनलाईन दर्ज किये जा सकेंगे। साइबर
तहसील में पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाईन जमा करने की सुविधा दी गई है। आदेश एवं राजस्व अभिलेखों में
अमल की पूरी प्रक्रिया 15 कार्यदिवस में पूर्ण होंगी तथा आदेश पारित होते ही भू-अभिलेखों में स्वत: सुधार हो
जायेगा। साइबर तहसील में ऐसे मामलों का निराकरण (नामांतरण) किया जायेगा, जिसमें संपूर्ण खसरा नंबर या
संपूर्ण प्लॉट समाहित है और किसी भी खसरा या प्लॉट का कोई विभाजन नहीं है। इस परियोजना के पूरे
प्रदेश में लागू होने से अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का तकनीक की सहायता से गुणवत्तापूर्ण
एवं तीव्र निराकरण किया जाना सुनिश्चित होगा।
प्रदेश के सभी जिलो में साइबर तहसील परियोजना की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा
विकसित भारत-विकसित मध्यप्रदेश की अवधारणा को लेकर 29 फरवरी को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में
वीसी के माध्यम से 17 हजार करोड़ रुपये की विकास की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के
साथ की गई थी। पन्द्रह दिन की समय सीमा के भीतर पेपरलेस, फेसलेस और ऑनलाइन पद्धति से
नामान्तरण और भू-अभिलेख अद्यतन करने की परिकल्पना को लेकर प्रारम्भ की गई साइबर तहसील
परियोजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक जून 2022 से सीहोर एवं दतिया जिले में की गई थी।
शुरुआती सफलता के बाद इसे इंदौर, सागर, डिंडौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा और
उमरिया जिले में भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर लागू किया गया तथा इसी वर्ष एक से तीन जनवरी के बीच
इसका प्रदेश के सभी जिलों में ट्रायल रन भी सफल रहा था।
साइबर तहसील की व्यवस्था लागू करने राजस्व विभाग द्वारा भू-राजस्व संहिता 1959 में संशोधन कर
धारा 13-क में वैधानिक प्रावधान किये गये हैं । साइबर तहसील का चार अलग-अलग प्लेटफार्मों संपदा पोर्टल,
भूलेख पोर्टल, सारा पोर्टल और आरसीएमएस पोर्टल से इंटीग्रेशन किया गया है । साइबर तहसील परियोजना के
अंतर्गत 27 फरवरी 2024 तक की स्थिति में 12 पायलट जिलों में साइबर तहसील योग्य कुल 23 हजार 255
प्रकरण प्राप्त हुए जिसमें से 21हजार 657 प्रकरणों में अंतिम आदेश पारित किया गया । इसी प्रकार जनवरीमाह की एक से पाँच तारीख के बीच प्रदेश के सभी 55 ज़िलों की सभी तहसीलों में ट्रायल रन में 1 हजार 251
प्रकरण प्राप्त हुए जिसमें से 1 हजार 079 प्रकरणों में अंतिम आदेश पारित किया गया। इन सभी प्रकरणों में
स्वचालित प्रक्रिया से भू-अभिलेखों में सौ फीसदी अमल किया जा चुका है, साथ ही व्हाट्सअप के माध्यम से
अंतिम आदेशों की सत्यापित प्रतियां भी प्रेषित की जा चुकी हैं। साइबर तहसील द्वारा प्रकरण के पंजीयन से
अमल तक की प्रक्रिया में औसत 15 से 17 दिवस का समय लग रहा है ।इसे पारंपरिक प्रक्रिया की तुलना में
बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है।
साइबर तहसील परियोजना में जमीन के पंजीयन से नामान्तरण एवं अमल की प्रक्रिया के अंतर्गत
रजिस्ट्रार कार्यालय में विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) निष्पादन के दौरान आवेदक को आवश्यक प्रकिया शुल्क एवं
निर्धारित प्ररूपों में सामान्य जानकारी देनी होगी । ऐसे पंजीयन जिसमें संपूर्ण खसरा नंबर या संपूर्ण प्लॉट
समाहित है और किसी भी खसरा या प्लॉट का कोई विभाजन नहीं है, उनके पंजीकृत विक्रय विलेख (रजिस्ट्री)
का विवरण स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से आरसीएमएस पोर्टल पर साइबर तहसील को भेज दिया जाता है।
साइबर तहसीलदार पंजीकृत दस्तावेज का राजस्व भू-अभिलेख से मिलान कर क्रेता, विक्रेता और संबंधित
गांव के निवासियों को एस एम एस के माध्यम से नोटिस जारी करेंगे । इस नोटिस में आपत्ति के लिए लिंक
भी दिया जायेगा । साथ ही एक सार्वजनिक इश्तहार तहसील के नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा होगा । एक
ऑनलाइन मेमो पटवारी प्रतिवेदन के लिए भी जारी किया जायेगा । दस दिन में कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होने
पर और पटवारी प्रतिवेदन में भी कोई आपत्ति नहीं होने पर साइबर तहसीलदार द्वारा प्रकरण में नामांतरण
आदेश पारित कर अभिलेखों को अद्यतन किया जायेगा । आदेश पारित किए जाने पर संबंधित को एस एम
एस माध्यम से सूचना दी जायेगी और व्हाट्सअप या ई-मेल के माध्यम से उन्हें पारित आदेश की सत्यापित
प्रति भी भेजी जायेगी ।