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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष सामान्य प्रारंभ

न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन 

The NI / राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष सामान्य प्रारंभ हो गया है, उक्त संघ शिक्षा वर्ग का तीन जून की प्रातः तक एम. एम. इंटरनेशनल स्कूल बाय पास रोड जबलपुर में समापन होगा । वर्ग के उद्घाटन सत्र में सर्वाधिकारी अनिल गुप्ता, प्रान्त प्रचारक ब्रजकान्त वर्ग पालक, राजेश शर्मा वर्ग कार्यवाह, विनोद जायसवाल रविवार को उपस्थित रहे। वर्ग में 15वर्ष से 40 वर्ष आयु के महाकौशल प्रान्त के 34 जिले से 685 शिक्षार्थी प्रशिक्षण में भाग ले रहे है, इनमे शालेय एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के अतिरिक्त व्यवसायी, कर्मचारी, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, अधिवक्ता एवं कृषक विभिन्न स्थानों से आये हैं जो 15 दिनों तक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे ।

इस दौरान वर्ग के उद्दघाटन सत्र में मुख्य वक्ता प्रेम शंकर जी सह क्षेत्र प्रचारक (मध्य क्षेत्र) ने वर्ग के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा की संघ के प्रशिक्षण वर्ग से शिक्षार्थियों को जीवन का उद्देश्य प्राप्त होता है । संघ कार्य करने के लिए भक्ति, सेवा, समर्पण चाहिए और यह सब भारत माता की सेवा और मानव कल्याण के लिए ही है। जिस संगठन, समाज और देश के लोगों में अनुशासन और समय पालन का भाव होता है उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, इसलिए संघ प्रशिक्षण वर्ग में अनुशासन और समय पालन को विशेष महत्व है।

उन्होंने कहा, शिक्षार्थियों ने पुरे मनोयोग से एकाग्र होकर प्रशिक्षण प्राप्त करना है।प्रशिक्षार्थियों की दिनचर्या प्रातः चार बजे जागरण से प्रारंभ होकर रात्रि 10 बजे तक रहती है। प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अभिनव पद्धति का एक अंग है, इसमें शिक्षार्थियों को प्रातः व सायं संघ स्थान में आत्मरक्षार्थ एवं शारीरिक पुष्टता की द्रष्टि से दंड, नियुद्ध, पदविन्यास, योग, खेल, खिलाए जाते हैं, तत्पश्चात शिक्षार्थियों को श्रम साधना एवं सेवा कार्यों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि इसके साथ ही समाज जीवन के विभिन्न विषयों पर शिक्षार्थियों से चर्चा की जाती है। इन सब गतिविधियों के माध्यम से देश भक्त कार्यकर्ता का निर्माण हो । इसका ध्यान रखा जाता है | श्रेष्ठ वक्ताओं द्वारा राष्ट्र एवं समाज जीवन से जुड़े विषयों का प्रतिपादन शिक्षार्थियों के समक्ष किया जाता है। इससे शिक्षार्थियों को विषय की स्पष्टता होती है जिसके माध्यम से शिक्षार्थी राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका तय कर पाते हैं ।

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