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निजी स्कूल बंद ऐलान के मैसेज के बाद अभिभावकों ने भी ठोकी ताल.. दोनों आमने-सामने

विलोक पाठक / न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन

The NI / जबलपुर अनाप-शनाप और बच्चों की किताबों में कमीशन के चलते जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर कई स्कूलों जिनमे संचालक,प्राचार्य, प्रकाशक को आरोपी बनाया है। उन्होंने इस कार्रवाई तिलमिलाते हुए निजी स्कूल बंद रखने का फैसला किया है। बच्चों के अभिभावकों के मोबाइल पर स्कूलों द्वारा भेजे गए मैसेज से लोगों में रोष है। कुल मिलाकर यदि बात की जाए तो स्कूल माफिया खुलेआम बच्चों के माध्यम से ब्लैकमेलिंग पर उतारू हो चुका है।

निजी स्कूलों के संगठनों की पिछले दिनों हुई बैठक में स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया। जिसके मैसेज सीधे तौर पर व्हाट्सएप के माध्यम से अभिभावकों को भेज दिए गए। इन मैसेजों में स्पष्ट तौर पर लिखा है की स्कूल कब खोले जाएंगे यह बाद में बताया जाएगा। उल्लेखनीय है कि निजी स्कूलों के खिलाफ जबलपुर में पूरे देश की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई जिसमें 11 निजी स्कूलों से जुड़े 21 लोगों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा एवं बाकी के आरोपी के फरार हैं।

जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने मध्य प्रदेश के इतिहास में शिक्षा माफिया की कमर तोड़ कार्रवाई की थी। जबलपुर के 11 नामी निजी स्कूलों के 80 संचालकों के खिलाफ 56 मुकदमें दर्ज किए गए हैं जो गैरकानूरी रूप से ज्यादा फीस वसूलने, पुस्तक माफिया के साथ साठगांठ करने और प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के नियमों को ना माने के कारण दर्ज किए गए हैं।

पिछले दिनों स्कूल माफिया के पक्ष में एक प्रेस वार्ता की गई थी जिसमें स्कूल माफिया का बचाव करते हुए कुछ लोग सामने आए थे, परंतु मुखर पत्रकारों के सवालों से वे निरुतर हो गए। कुल मिलाकर देखा जाए तो इन माफियाओं की पकड़ सिस्टम में जबलपुर नहीं बल्कि दिल्ली तक है। इन शिक्षा माफिया को यह भय है कि जबलपुर की कार्रवाई कहीं बड़े स्तर पर संपूर्ण देश में हो जाएगी तो न केवल इन माफियाओं के चेहरों से नकाब उतर जाएंगे और एक बहुत बड़ा वर्ग जो कि शिक्षा की महंगी फीस और किताबों के बड़े हुए रेट के बोझ तले दबा हुआ है वह लाभान्वित होगा। बताया जा रहा है कि स्कूल एसोसिएशन के सदस्यों की मीटिंग के बाद यह निर्णय लिया गया है कि जबलपुर में कोई भी निजी स्कूल तब तक नहीं खोला जाएगा जब तक सभी प्राचार्य शिक्षक और ऑफिस स्टाफ को अग्रिम जमानत नहीं मिल जाती।

वहीं कुछ अभिभावकों का कहना है कि पढ़ाई का इस कार्रवाई से क्या कनेक्शन है करवाई प्रशासनिक हो रही है, व पढ़ाई स्कूलों के अंदर होती है, स्कूलों में पढ़ाई शुरू की जा सकती है। इस समय अभिभावकों के नाम पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें स्कूल माफियाओं द्वारा अनिश्चितकालीन स्कूल बंद करने की धमकी को लेकर अभिभावक सड़कों पर उतारने के लिए एकजुट हो रहे हैं। उस मैसेज में अपील की गई है यदि स्कूल माफिया अपनी मांग मनमाने के लिए सरकार को ब्लैकमेल करेगा और दबाव डालेगा तो उसके लिए जनता चुप नहीं बैठेगी सड़कों पर उतरकर इस बात का जवाब देगी। कुछ लोगों ने एक समय निश्चित कर सड़कों पर आने कि बात कही है। बरहाल जो भी हो परंतु यदि ऐसा होता है तो यह स्कूल माफिया के खिलाफ खुला टकराव होगा। दूसरी बात यह है की अपनी राष्ट्रीय स्तर तक पर पकड़ बनाने वाले कुछ स्कूल माफिया सरकार पर दबाव डालकर अपनी बात मानवाने पर उतारू है। पिछले दिनों कि गयी एक प्रायोजित पत्रकार वार्ता इस बात का उदाहरण है।

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